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सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक सेंगोल संसद भवन में स्थापित किया जाएगा

चेन्नई 25 मई (वार्ता) सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक सेंगोल (राजदंड) को 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किए जाने वाले नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा।
वर्ष 1947 में अंग्रेजों से भारत के लोगों को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक सेंगोल को प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपने के प्रकरण में तमिलनाडु का एक ‘बड़ा गौरवपूर्ण हिस्सा’ है।
नया भवन हमारी विरासत और परंपराओं के साथ आधुनिकता को जोड़ने वाले नए भारत के निर्माण के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण का प्रमाण है। यह नई संरचना रिकॉर्ड समय में बनाई गई है और 40,000 श्रमजीवी के योगदान को समर्पण समारोह में प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित किया जाएगा। लोकतांत्रिक संस्था के प्रति सम्मान और श्रद्धा के प्रतीक के रूप में सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष के आसन पर स्थापित किया जाएगा।
सेंगोल इवेंट के बारे में कहा जाता है कि वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से एक प्रश्न किया कि ब्रिटिश से भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में किस समारोह का पालन किया जाना चाहिए। इस बारे में पंडित नेहरू ने वयोवृद्ध श्री सी राजगोपालाचारी (राजाजी) से परामर्श किया।
इस पर राजाजी ने चोल मॉडल की पहचान की। जहां एक राजा से दूसरे राजा को सत्ता का हस्तांतरण उच्च पुरोहितों के आशीर्वाद से किया जाता था और इसका प्रतीक सेंगोल का एक राजा से उसके उत्तराधिकारी को सौंपना था।
सेंगाेल का अर्थ न्यायसंगत और निष्पक्ष है। तमिल में इसे ‘अनाई’ कहा जाता है।
राजाजी ने तमिलनाडु के तंजौर जिले में धार्मिक मठ - थिरुवदुथुराई अधीनम से संपर्क किया। अधीनम गैर-ब्राह्मण मठ हैं। वे भगवान शिव के अनुयायी हैं।
थिरुववदुथुरै अधीनम 500 साल से अधिक पुराना है एवं लगातार काम कर रहा है। सेंगोल के शीर्ष पर नंदी ‘न्याय’ का प्रतीक है। अधीनम के नेता ने तुरंत ‘सेंगोल’ (पांच फीट लंबाई) की तैयारी शुरू कर दी। चेन्नई में ज्वैलर्स वुम्मिदी बंगारू चेट्टी ने सेंगोल तैयार किया। 14 अगस्त, 1947 को तमिलनाडु से सेंगोल को ले जाने वाले तीन लोगों में अधीनम के उप महायाजक, नादस्वरम वादक राजारथिनम पिल्लई और ओडुवर (गायक) थे।
पुजारी ने सेंगोल लॉर्ड माउंटबेटन को दिया, और उसे वापस ले लिया। सेंगोल को पवित्र जल से शुद्ध किया गया था और उसे जुलूस के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू के घर ले जाया गया, जहां उन्हें सौंप दिया गया। इस अवसर पर महायाजक के निर्देशानुसार एक विशेष गीत गाया गया। यह 14 अगस्त, 1947 की रात को हुआ था। विशेष गीत 7वीं शताब्दी के तमिल संत तिरुगुनाना संबंदर द्वारा रचित था।
इस प्रकार सत्ता भारतीय हाथों में स्थानांतरित कर दी गई। पं. नेहरू ने डॉ राजेंद्र प्रसाद और कई अन्य लोगों की उपस्थिति में इसे स्वीकार किया। इस कार्यक्रम की व्यापक रूप से मीडिया, भारतीय और विदेशों में रिपोर्ट की गई थी। सेंगोल विशेष है। सेंगोल शब्द तमिल शब्द ‘सेम्मई’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘धार्मिकता’।
पवित्र नंदी के साथ, अपनी अडिग निगाहों के साथ, यह चोल साम्राज्य से हमारी अपनी भारतीय सभ्यतागत प्रथा है, जो सदियों से हमारे उप-महाद्वीप में अग्रणी राज्यों में से एक थे।
तमिलनाडु सरकार ने इसे 2021-22 एचआर और सीई डिपार्टमेंट पॉलिसी नोट में गर्व से प्रकाशित किया है।
जांगिड़.संजय
वार्ता
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