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अमेरिकी अधिकारी पिकेट का अंतिम अवशेष 58 वर्षों के बाद घर पहुंचेगा

कोलकाता, 29 मई (वार्ता) मेजर जनरल हैरी क्लेनबेक पिकेट, अमेरिका के सबसे सम्मानित अधिकारियों में से एक, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध एवं द्वितीय विश्व युद्ध दोनों में देश के लिए लड़ा था, का अंतिम अवशेष 58 वर्षों के बाद अमेरिका के आर्लिंगटन नेशनल कब्रिस्तान में फिर से दफनाने के लिए वापस भेजा जाएगा।
मेजर जनरल पिकेट की 1965 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग की यात्रा के दौरान मृत्यु हो गई थी और उनके शव को दार्जिलिंग के एक कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया था। श्री पिकेट का परिवार एवं अमेरिकी सरकार उनके अवशेषों को अमेरिका वापस लाने के लिए अपने भारतीय समकक्षों के साथ समन्वय कर रहे हैं।
कोलकाता में अमेरिकी महावाणिज्य दूत मेलिंडा पावेल ने कहा कि अमेरिकी सरकार के लोक सेवक के रूप में हमारी पहली प्राथमिकता अमेरिकी नागरिकों की रक्षा एवं उनका समर्थन करना है।
उन्होंने कहा कि “मेजर जनरल पिकेट को अमेरिका में उनके परिवार के साथ पुनर्मिलन में सहायता प्रदान करना, जो अपने देश के लिए प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध दोनों में लड़े, हमारे लिए एक विशेषाधिकार और सम्मान है। मैं और मेरी टीम भारत सरकार एवं पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रदान किए गए समर्थन के प्रति आभारी हैं, जिससे उनकी वापसी संभव हो रही है।”
मेजर जनरल पिकेट 1913 में अमेरिकी मरीन कॉर्प्स में शामिल हुए थे और उन कुछ अमेरिकी अधिकारियों में से एक बन गए, जिन्होंने दोनों विश्व युद्धों में देश की सेवा की। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, वह अप्रैल 1917 में गुआम में जर्मन क्रूजर एसएमएस कॉर्मोरन पर कब्जा करने में शामिल थे। 24 वर्षों के बाद, उन्होंने और उनके साथी मरीन ने पर्ल हार्बर में समुद्री बैरकों के कमांडिंग ऑफिसर के रूप में 07 दिसंबर, 1941 को क हमले के दौरान जापानी युद्धक विमानों पर गोलीबारी की थी।
अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास, कोलकाता की टीम ने दार्जिलिंग में श्री पिकेट की कब्र स्थल का पता लगाने के लिए दार्जिलिंग के जिला मजिस्ट्रेट एस पोन्नाम्बलम और अंतर्राष्ट्रीय अंतिम संस्कार सेवा के जॉन पिंटो के साथ मिलकर काम किया। सिंगटॉम सेमेट्री में उनके अवशेष का पता चलने के बाद, पश्चिम बंगाल के गृह एवं हिल्स विभाग के विशेष सचिव ने उनके अवशेष को कब्र से निकालने के लिए मंजूरी प्राप्त करने का काम किया। अंतत: पश्चिम बंगाल सरकार के वन एवं एआरडी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव बीपी गोपालिका ने इसके लिए मंजूरी प्रदान की और अब मेजर जनरल पिकेट के अवशेषों को इस माह अमेरिका भेजने की अनुमति मिल चुकी है।
अमेरिकी सरकार ने इस लंबी प्रक्रिया में सहायता प्रदान करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
श्री पावेल ने कहा “हम इसे अपनी रणनीतिक साझेदारी की एक सफलता के रूप में देखते हैं और इसके लिए हम बहुत आभारी हैं, क्योंकि जब हम अपने नागरिकों का समर्थन करते हैं तब अमेरिका और भारत एक साथ मिलकर बेहतर काम करते हैं।”
अभय अशोक
वार्ता
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