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सुरंग नहीं बनी. पांगी घाटी के मतदाता अब करेंगे लोस. चुनाव का बहिष्कार

शिमला, 01 अप्रैल(वार्ता) हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले की दूरस्थ पांगी घाटी के निवासी राजनीतिक दलों की वादाखिलाफी से इतने नाराज हैं कि इन्होंने इस बार लोकसभा चुनावों का ही बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है।
घाटी के लोग गत लगभग पांच दशक से सुरंग निर्माण की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर बार चुनावों में राजनीतिक दल इनसे सुरंग निर्माण कराने का वादा करके जाते हैं लेकिन चुनावों के बाद अपने वादे भूल जाते हैं। राजनीतिक दलों ने उन्हें सुरंग बनाने का लालच देकर केवल वोट बैंक के रूप में ही इस्तेमाल किया है। सुरंग न बनने के कारण घाटी के लोग आज भी खराब मौसम के कारण छह माह का कठोर कारावास भुगतने को मजबूर हैं।
पांगी संघर्ष समिति के संयोजक हरीश शर्मा ने सोमवार को यहां पत्रकारवार्ता में राजनीतिक दलों के खिलाफ अपना रोष प्रकट करते हुये कहा कि हर बार वादाखिलाफी के चलते घाटी के लोगाें का लोकतंत्र से विश्वास उठ गया है और इस बार इन्होंने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि भारी बर्फवारी के कारण घाटी साल में करीब छह महीने शेष विश्व से कटी रहती है। राजनीतिक दल हर चुनाव में उनसे सुरंग निर्माण का वादा करके जाते हैं लेकिन बाद में इसे भूल जाते हैं।
उन्होंने बताया कि पांगी घाटी काला पानी की तरह थी। यहां की बेहद कठिन मौसमी परिस्थितियों के चलते राजशाही काल में यहां अपराधियों को बतौर सजा लाकर छोड़ दिया जाता था। आज देश भले ही आजाद हो गया है और यहां प्रजातंत्र है लेकिन इसके बाद भी यहां पर हालात नहीं बदले हैं। राजाओं की दंड भूमि के नाम से उस समय जानी जाने वाली पांगी घाटी विकास के अभाव में लोगों के लिये कालापानी के समान है।
श्री शर्मा के अनुसार सुरंग का अगर निर्माण होता है तो इससे न केवल घाटी के लोगों को समय पर स्वास्थय सेवाएं उपलब्ध होंगी बल्कि इससे पठानकोट-डलहौजी-तीसा-पांगी-लेह मार्ग की दूरी महज 421 किलोमीटर रह जाएगी जबकि 802 किलोमीटर से घट कर 421 किलोमीटर तक रह जाएगी। जबकि पठानकोट-मनाली-लेह मार्ग की इस समय दूरी 802 किलोमीटर है। ऐसे में सुरंग के निर्माण से रक्षा मंत्रालय को प्रति वर्ष करोड़ों रुपए की बचत हो सकती है।
उन्होंने बताया कि सुरंग निर्माण की मांग को लेकर इस बार लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने के ऐलान काे घाटी के प्रजामंडलों का भी समर्थन मिला है।
सं.रमेश1812वार्ता
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