Saturday, Apr 27 2024 | Time 10:15 Hrs(IST)
image
राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचल


मुख्यमंत्री ने अनिल शर्मा का इस्तीफा स्वीकार किया, कहा-बेटे के लिए कर रहे थे चुनाव प्रचार

शिमला, 12 अप्रैल(वार्ता) हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने श्री अनिल शर्मा का बिजली मंत्री पद से इस्तीफा आज देर शाम स्वीकार कर लिया।
श्री ठाकुर को अपने गृह क्षेत्र सराज के दौरे के दौरान फोन पर श्री शर्मा के इस्तीफे की जानकारी मिली जिसके बाद उन्होंने फोन पर ही पार्टी हाईकमान के साथ इस पर मंत्रणा की और हरी झंडी मिलते ही उन्हाेंने इस्तीफा स्वीकार कर लिया। इससे पहले श्री शर्मा ने मंत्री पद से अपना इस्तीफा आज मुख्यमंत्री के मंडी कैम्प कार्यालय में भेज दिया था जिसमें उन्होंने कहा कि वह सरकार और भाजपा नेताओं के साथ बढ़ रही कड़वाहट के चलते यह फैसला ले रहे हैं।
इस्तीफा स्वीकार करने के बाद मीडिया से बातचीत में श्री ठाकुर ने कहा कि श्री शर्मा पर्दे के पीछे बेटे के लिये काम कर रहे थे। उन्हें नैतिकता के आधार पर पहले ही पद से इस्तीफा दे देना चाहिए था। इसके अलावा मंत्री रहते उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रति जिस प्रकार की टिप्पणियां कीं हैं वे भी किसी लिहाज से उचित नहीं थीं। उन्होंने कहा कि श्री शर्मा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री शर्मा सरकार के रहते हुये कांग्रेस के टिकट पर मंडी लोकसभा चुनाव लड़ रहे अपने बेटे आश्रय शर्मा के लिये चुनाव प्रचार कर रहे थे। यहां तक सुखराम परिवार से जुड़े और अब भाजपा में शामिल हो चुके लोगों पर भी कांग्रेस प्रत्याशी के लिये काम करने का दबाव बनाया जा रहा था। इन सब बातों की जानकारी उन्हें मिल रही थी और वह इस पर पूरी नजर बनाए हुए थे।
श्री ठाकुर ने कहा कि श्री शर्मा ने यह कहा था कि वह किसी के लिए काम नहीं करेंगे लेकिन वह अपनी ईमानदारी नहीं निभा सके और जो भी परिस्थितियां आज पैदा हुई हैं वह उन्हीं की देन है। उन्हाेंने स्पष्ट किया कि वह किसी भी सूरत में यह बर्दाशत नहीं कर सकते थे कि उनका कैबिनेट सहयोगी कांग्रेस के लिए काम करे। उन्होंने कहा कि श्री शर्मा ने भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा और जीता है। कायदे से वह भाजपा के विधायक हैं और यह भविष्य में तय होगा कि संगठन इस पर क्या निर्णय लेता है। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक होने के नाते वह कांग्रेस के लिए काम नहीं कर सकते क्योंकि दलबदल कानून के तहत ऐसा सम्भव नहीं है। यदि श्री शर्मा ऐसा करते हैं तो उन्हें अपनी विधानसभा की सदस्यता से भी हाथ धोना पड़ेगा।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनावों की घोषणा होते ही श्री पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम ने अपने पोते आश्रय शर्मा के लिये मंडी सीट से टिकट देने की भाजपा से मांग शुरू कर दी थी लेकिन जब टिकट नहीं मिला तो उन्होंने कांग्रेस से साठगांठ शुरू कर दी और पोते के साथ दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान से भी मिल लिये जहां उन्हें मंडी सीट जीत कर कांग्रेस की झोली में डालने के आश्वासन पर आश्रय को टिकट तो मिल गई इससे राज्य की भाजपा सरकार में मंत्री अनिल शर्मा की मुश्किलें शुरू हो गयीं जिसकी परिणती आज उनके इस्तीफे के साथ हुई।
सं.रमेश2120वार्ता
image