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अमरिंदर ने किया पीएमएस योजना में केंद्र के 60:40 फार्मूले का विरोध

चंडीगढ़, 08 जुलाई (वार्ता) अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना में केंद्र का हिस्सा 90 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी करने के प्रस्ताव को राज्यों पर बोझा बढ़ाने वाला करार देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसका विरोध किया है और वापस पुराने फार्मूले को अपनाने को कहा है।
कैप्टन ने आज यहां जारी बयान में कहा कि 2018 तक राज्यों को योजना के तहत केवल 10 फीसदी हिस्सा देना होता था और केंद्र 90 फीसदी देता था पर केंद्र ने बाद में राज्यों पर भार बढ़ाने का फैसला किया।
उन्होंने कहा कि पुराने फार्मूले के अनुसार योजना पर जहां पंजाब पर 75 करोड़ रुपये का भार पड़ रहा था वहीं अब 300 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पूरी तरह अस्वीकार्य है और समाज के अनुसूचित जाति-जाति वर्ग के उत्थान के प्रति केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की कथित प्रतिबद्धता का मज़ाक है।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि पिछले साल 15 जून को उन्होंने केंद्रीय समाज कल्याण एवं सशक्तीकरण मंत्रालय को पत्र लिखकर प्रस्तावित फंडिंग फार्मूले के दिशानिर्देशों की समीक्षा करने को कहा था।
मुख्यमंत्री के अनुसार प्रस्तावित फार्मूले से योजना का उद्देश्य ही परास्त हो जाता है और राज्य सरकार पर असहनीय बोझ बढ़ता है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अनुसूचति जाति-जनजाति के छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है और पूरा खर्चा उठाने को भी तैयार है पर केंद्र का इस तरह अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ना शर्मनाक है। उन्होंने केंद्र से अपना प्रस्ताव वापस लेने की मांग की जो कि आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति को भेजा गया है और अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों के हितों का खयाल रखते हुए पुनर्विचार की मांग की।
महेश विक्रम
वार्ता
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