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बैंस की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

गुरदासपुर, 18 सितंबर (वार्ता) पंजाब में गुरदासपुर की एक अदालत ने लोक इंसाफ पार्टी प्रमुख और विधायक सिमरजीत सिंह बैंस की उपायुक्त से कहासुनी के मामले में अग्रिम जमानत याचिका आज खारिज कर दी।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमेश कुमारी ने विधायक के व्यवहार को ‘गैरजिम्मेदाराना और डराने-धमकाने वाला‘ करार दिया।
अदालत ने आरोपी के खिलाफ दर्ज 12 प्राथमिकियों का हवाला भी दिया और न्यायाधीश ने कहा कि आवेदक सरकारी अधिकारियों को डराने, धमकाने और उनके कार्य में दखलंदाजी करने के आदी लगते हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि विधानसभा के चुने हुए प्रतिनिधि और जन प्रतिनिधि होने से आवेदक को किसी सरकारी कर्मचारी से बदसलूकी का लाइसेंस नहीं मिल जाता। अदालत ने श्री बैंस का यह आरोप भी खारिज कर दिया कि वर्तमान मामले में दर्ज प्राथमिकी ‘राजनीतिक प्रतिशोध‘ का नतीजा है।
अदालत ने विधायक को सरकारी अधिकारी से बुरी तरह पेश आने पर फटकार लगाई और कहा कि ऐसी स्थिति में प्रशासन प्रमुख स्वतंत्रता से, निडर होकर कार्य नहीं कर पायेगा खासकर ऐसे मामले में जब जिला प्रशासन को उस त्रासद स्थिति से निबटना हो जिसमें 24 लोगों ने जानें गंवाईं।
अदालत ने कहा कि जन प्रतिनिधि के रूप में आवेदक को, चूंकि वह शक्तिशाली पद पर है, उपायुक्त से सौहार्दपूर्ण तरीके से मिलना चाहिये था, भीड़ के साथ नहीं। इसके अलावा उन्होंने अपने साथियों को जिला प्रशासन प्रमुख के साथ अपनी कहासुनी को रिकॉर्ड करने और सोशल मीडिया पर अपलोड करने के लिए भी कहा। उन्होंने गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया।
न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि इस तरह की त्रासदी के समय संयम बरतना जरूरी है तथा आरोपी ने मौके की नजाकत देखने की कोशिश नहीं की बल्कि अस्पताल में भावावेग वाले माहौल का फायदा उठाने की कोशिश की जबकि वहां पटाखा कारखाने में विस्फोट के घायलों का उपचार चल रहा था तथा मृतकों की शिननाख्त का कार्य जारी था।
अदालत ने कहा कि जितने बड़े पद पर व्यक्ति हो उससे उतनी ही ज्यादा जिम्मेदारी और संयम के साथ पेश आने की उम्मीद की जाती है।
उल्लेखनीय है कि गुरदासपुर जिले के बटाला में पटाखा कारखाने में विस्फोट की घटना के बाद पांच सितंबर को श्री बैंस और उनके समर्थकों ने गुरदासपुर उपायुक्त विपुल उज्वल के साथ उनके कार्यालय में कहासुनी की थी।
श्री बैंस पर भारतीय दंड संहिता की धारा विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया जिनमें कुछ धाराएं गैर जमानती हैं जिसके बाद उन्होंने अग्रिम जमानत अर्जी अदालत में दाखिल की थी।
सं महेश विक्रम
वार्ता
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