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नौणी विश्वविद्यालय ने निकाला प्याज का विकल्प

शिमला, 29 अक्टूबर (वार्ता) प्याज की आसमान छूती कीमतों से उपभोक्ताओं को अब राहत मिलेगी। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले में नौणी स्थित डा. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय ने प्याज की एक किस्म विकसित की है जो खरीफ मौसम में उगाई जा सकेगी और किसानों के लिये भी यह बेहतर आमदमी का स्राेत बनेगा।
देश के उत्तरी क्षेत्रों को प्याज के लिये अधिकांश तौर पर महाराष्ट्र पर निर्भर रहना पड़ता है। हिमाचल प्रदेश और इसके पड़ोसी राज्यों में प्याज की अब तक केवल एक ही फसल उगाई जाती है जबकि महाराष्ट्र में इसकी तीन फसलें होती हैं। जिसमें कारण उत्तर क्षेत्र में प्याज की मांग पूरी करने के निये बाहरी राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता है। समय-समय पर यह देखा गया है कि प्याज के दाम, आम जनता की पहुंच से दूर हो जाते हैं।
खरीफ प्याज जैसी नई किस्म न केवल आम जनता को महंगाई के दंश से बचा सकती है अपितु किसानों की आमदनी बढ़ाने का भी एक विकल्प हो सकता है बशर्ते किसान इसकी खेती की तकनीक हासिल कर वैज्ञानिक विधि अपनाएं। खरीफ प्याज की फसल ऐसे समय में बाजार में दस्तक देती है जब आम जनता प्याज के आसमान छूती कीमतों से परेशान होती है।

विश्वविद्यालय के सब्जी वैज्ञानिक डॉ दीपा शर्मा, खरीफ प्याज की लोकप्रियता एवं जागरूकता बढ़ाने के लिए केंद्र के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्वीकृत 20.43 लाख रुपये की एक परियोजना पर कार्य कर रही हैं। यह योजना वर्तमान में चम्बा जिले के विभिन्न स्थानों पर चलाई जा रही है जिसमें विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ राजीव रैना और डॉ संजीव बन्याल सह-प्रमुख अन्वेषक के रूप में कार्य कर रहे हैं। इस परियोजना के अंतर्गत गत दो वर्षों में चम्बा जिले के विभिन्न स्थानों पर 245 प्रदर्शन एवं 14 प्रशिक्षण कार्यक्रम किए गए जिनसे लगभग 362 किसान लाभान्वित हुए।
डा. शर्मा के अनुसार खरीफ प्याज की एक क्विंटल गट्ठियां तैयार कर रख ली जाएं तो से बाद में प्याज के रूप में छह गुणा अधिक उत्पादन देती हैं। बाजार में यही प्याज 50 रुपये किलोग्राम के हिसाब से आराम से बिक जाता है। किसान एक क्विंटल गट्ठियों से लगभग छह क्विंटल प्याज प्राप्त कर 30 हजार रुपये तक आय प्राप्त कर सकता है। लिहाजा किसान न केवल अपने लिए प्याज उत्पादन कर सकता है बल्कि आम जनता के लिए भी बाहरी राज्यों की आवक के बजाय क्षेत्रीय प्याज को सस्ते दामों पर उपलब्ध करा सकता है।

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने खरीफ प्याज पर किए इस कार्य को किसानों द्वारा व्यावसायिक स्तर पर अपनाने तथा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को इसे अधिकाधिक किसानों तक पहुंचाने का आग्रह किया है।
सं.रमेश1844वार्ता
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