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सिख विरोधी दंगों पर मनमोहन ने बोला अधूरा सच: चुघ

चंडीगढ़, 05 दिसम्बर(वार्ता) भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के राष्ट्रीय सचिव तरूण चुघ ने कहा है कि 30 साल तक जांच की आंच से बचने की कवायद के तहत कांग्रेस ने 1984 के सिखों विरोधी दंगों में शामिल लोगों के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा बंद पड़ी फाइलें पुनः खोलने के फैसले के मद्देनजर 3300 से ज्यादा सिखों सामूहिक नरसंहार का ठीकरा तत्कालीन गृह मंत्री नरसिम्हाराव पर फोड़ने की नई पैंतरेबाजी शुरू की है।
श्री चुघ ने आज यहां जारी एक बयान में सिख विरोधी दंगों के संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा दिये गये बयान को गांधी परिवार की घोर चाटुकारिता करार देते हुये कहा कि जब दिल्ली समेत अन्य राज्यों में सिखों का संहार हो रहा उस समय डा. सिंह रिर्जव बैंक के गवर्नर के पद पर तैनात थे और उन्होंने उस समय सिखों के जख्मों पर मरहम लगाने के वजाय अपने पद पर बने रह कर गांधी परिवार की नजरों में उसका हमदर्दी होने की अपनी छवि बनाने को ही उचित समझा था। उन्होंने कहा कि सिख दंगों पर उनकी चुप्पी पर कालांतर में उन्हें देश का वितमंत्री और प्रधानमंत्री पद पर बिठा कर गांधी परिवार ने उनकी परिवार के प्रति वफादारी का अहसान अदा किया।
भाजपा नेता ने सिख नरसंहार का ठीकरा नरसिम्हाराव पर फोड़ने को उनकी गुलाम मानसिकता बताते हुये उन्हें याद कराया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उस समय कहा था “जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है “।
उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली में सिखों का कत्लेआम गांधी परिवार की संलिप्तता के बिना असम्भव था। उन्होंने डा. सिंह को आगाह किया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में इन दंगों में शामिल रहे दोषियों उनके संरक्षकों को सजा दिलाने की प्रक्रिया को उनके गुलामी मानसिकता वाले बयानों से प्रभावित नहीं किया जा सकता। उन्होंने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी डा. मनमोहन के ताजा बयान पर अपना रूख स्पष्ट करने की मांग की।
रमेश1848वार्ता
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