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एआईपीईएफ ने चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ राज्यपाल को लिखा पत्र

चंडीगढ़, 09 जून (वार्ता) ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने केंद्र शासित चंडीगढ़ में बिजली विभाग के निजीकरण के प्रयासों का विरोध करते हुए पंजाब के राज्यपाल, जो चंडीगढ़ प्रशासक भी हैं, वीपी सिंह बदनोर को पत्र लिखा है।
एआईपीईएफ के प्रवक्ता विनोद गुप्ता के आज यहां जारी बयान के अनुसार पत्र में लिखा गया है कि चंडीगढ़ विद्युत विभाग के बेहतर प्रदर्शन के बावजूद केंद्र सरकार ने मनमाना निर्णय लिया है कि विद्युत विभाग का निजीकरण किया जाए और सलाहकार नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। जबकि ज्वाइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (जेईआरसी) ने निर्देश जारी किया है कि विद्युत विभाग के लिए कार्पोरेट ढांचा अपनाया जाए और निजीकरण के लिए निर्देश नहीं है।
एआईपीईएफ के अनुसार पारेषण एवं वितरण नुकसान हो या राजस्व कमी, इनके तकनीकी व वाणिज्यिक पैमाने पर चंडीगढ़ विद्युत विभाग का प्रदर्शन बेहतर रहा है और इसके निजीकरण का कोई कारण नहीं है। चंडीगढ़ में कृषि या ग्रामीण उपभोक्ताओं की संख्या न के बराबर होने से इसे अच्छा राजस्व मिलता है। इसका पारेषण एवं वितरण नुकसान साढ़े तेरह फीसदी है जो ऊर्जा मंत्रालय के 15 फीसदी नुकसान के मानक से भी कम है। इस तरह चंडीगढ़ विद्युत विभाग देश की श्रेष्ठ प्रदर्शन वाली इकाइयों में गिना जाता है।
एआईपीईएफ के अनुसार इसके अलावा चंडीगढ़ को भाखड़ा ब्यास प्रबंधन न्यास (बीबीएमबी) की बिजली 17 पैसे प्रति यूनिट पड़ती है, और सरकारी विभाग होने व पंजाब एवं हरियाणा की संयुक्त राजधानी होने के कारण 3़ 5 फीसदी हिस्सा मिलता है अन्यथा सिर्फ 0़ 6 फीसदी हिस्सा मिलता इसलिए यदि विभाग का निजीकरण किया गया तो बीबीएमबी बिजली आपूर्ति घटा दी जाएगी क्योंकि निजी इकाई को अतिरिक्त हिस्स नहीं दिया जा सकता। इसका असर आम उपभोक्ताओं की बिजली के दामों पर पड़ेगा।
एआईपीइएफ के अनुसार विभाग के कर्मचारी भी पंजाब एवं हरियाणा की इकाइयों से भी आते हैं इसलिए विभाग के निजीकरण से पहले उनकी राय भी जाननी चाहिए।
महेश विजय
वार्ता
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