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लॉकडाउन उल्लंघन को लेकर दर्ज मुकदमे वापिस ले सरकार : वकील

हिसार, 12 जून (वार्ता) कोरोना वायरस महामारी का फैलाव रोकने के लिए देश में 25 मार्च से लागू किये गये लॉकडाऊन के दौरान उल्लंघन को लेकर असंख्य गरीबों, मजदूरों पर दर्ज किये मुकदमे वापस लेने की मांग वकील रजत कलसन ने आज की।
उन्होंने यहां जारी बयान में कहा कि लॉकडाऊन को प्रभावी बनाने के लिए देश में 144 धारा लागू की गई थी और लॉकडाउन के दौरान गरीबों, मजदूरों, दिहाड़ीदारों, प्रवासियों तथा निम्न मध्यम वर्ग के लोगों पर पुलिसिया कहर ढाया गया। उन्होंने कहा कि खासकर लॉकडाऊन के शुरुआती दिनों में घरों से बाहर निकले लोगों को पुलिस ने बुरी तरह पीटा था और कई घटनाओं की तस्वीरें व वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुईं।
श्री कल्सन ने आरोप लगाया कि फिर इन्हीं वर्गों के लोगों के खिलाफ सरकार व पुलिस ने लॉकडाउन के उल्लंघन के मामले दर्ज किए, जोकि सरासर गलत, असंवैधानिक, अनैतिक तथा लोकतंत्र की परंपरा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण अचानक रोजगार छिन जाने, मकान छिन जाने, भुखमरी की नौबत आने या अन्य कारणों से प्रवासी मजदूर अपने गांवों के लिए सड़कों पर पैदल निकल पड़े तो प्रशासन, सरकार के उन्हें साधन मुहैया कराने की बजाय पुलिस ने उन्हें लाठियों से पीटना शुरू कर दिया। इसी तरह रोजमर्रा का सामान खरीदने वाले गरीब, मजदूर तथा मध्यम वर्ग के लोग जब बाजार व सड़कों पर निकले थे तो पुलिस ने उनकी भी पिटाई की तथा उनके खिलाफ लॉकडाउन उल्लंघन के मामले दर्ज किए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि लॉकडाउन में बुनियादी जरूरतों की मांग करने वालों की आवाज दबाने के लिए भी उनके खिलाफ भी जमकर मुकदमे दर्ज किए तथा लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई गई तथा लॉकडाउन का इस्तेमाल करते हुए सरकार ने अपना विरोध करने वाले लोगों तथा सामाजिक तथा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ भी जमकर झूठे मुकदमे दर्ज किए तथा उनको गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।
श्री कलसन ने मांग की कि सरकार को अध्यादेश जारी कर लॉकडाउन के दौरान गरीब आमजनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 व 505 आदि के तहत दर्ज मुकदमे वापस लिये जाएं।
सं महेश विजय
वार्ता
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