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ढींडसा के शिरोमणी अकाली दल को नहीं मिल पाएगी निर्वाचन आयोग से मान्यता

मोहाली, 09 जुलाई (वार्ता) सहजधारी सिक्ख पार्टी(एसएसपी) अध्यक्ष डॉ. परमजीत सिंह राणू ने कहा है कि श्री सुखदेव सिंह ढींडसा के नवगठित शिरोणमि अकाली दल(शिअद) को निर्वाचन आयोग से मान्यता नहीं मिल पाएगी।
डा. राणू ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इससे पहले उनकी पार्टी भी इस सम्बंध में तकनीकी अवरोध का सामना कर चुकी है। उनके अनुसार चार नवम्बर, 2001 को सहजधारियों ने अकाल तख़्त साहिब के प्रांगण से ‘सहजधारी शिरोमणी अकाली दल’ नाम से नये राजनीतिक दल के गठन का ऐलान किया था तथा निर्वाचन आयोग के समक्ष इसी नाम से पंजीकरण के लिये आवेदन किया था। आयोग ने लेकिन इसे अस्वीकार करते हुये कहा कि शिरोमणी अकाली दल पहले से ही पंजाब का एक मान्यताप्राप्त राजनीतिक दल है तथा उनके राजनीतिक दल का मिलता-जुलता नाम मतदाताओं में भ्रम उत्पन्न करेगा।
उन्होंने कहा कि श्री ढींडसा शिरोमणि अकाली दल (डैमोक्रैटिक) के नाम से पार्टी का पंजीकरण कराने में सफल हो जाते हैं तो उनकी पार्टी भी अपने पूर्व नाम ‘सहजधारी शिरोमणी अकाली दल’ के लिये चुनाव आयोग के समक्ष दावा प्रस्तुत करेगी। उन्होंने बताया कि उनके दादा जी गुरदयाल सिंह राणू एक टकसाली अकाली थे तथा सुरजीत सिंह बरनाला के साथी थे, जिन्हें ‘पंजाबी सूबा’ मोर्चे के दौरान जेल भी जाना पड़ा था। इसलिये उन्होंने शिरोमणी अकाली दल के साथ जुड़ने का प्रयास किया था लेकिन सफलता नहीं मिली।
डॉ. राणू ने ढींडसा के शिरोमणी अकाली दल काे चले हुए कारतूसों का सम्मिश्रण बताया जिन्हें जनता पहले ही नकार चुकी है। श्री ढींडसा स्वयं को कभी चुनाव नहीं जीत सके और बादल परिवार के सहारे ही संसद में जाते रहे और केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे निर्णयों के कारण ही तीन-तीन लाख मतों से हारने वालों को महत्त्व देने से अकाली दल को मियाज़ा भुगतना पड़ा है क्योंकि मतदाता और कार्यकर्ता को ऐसा महसूस होने लगा कि उनकी भावना और निर्णय की अकाली दल में कोई कद्र नहीं है। इस बार 2020 के चुनावों में केवल पंथक एजेंडा लोगों का मुद्दा नहीं होगा क्योंकि युवाओं के लिए नौकरियां/रोज़गार इस समय सब से बड़ा मुद्दा है तथा कोरोना महामारी के कारण लोगों के कारोबार पूर्णतया ठप्प हो कर रह गए हैं।
रमेश1851वार्ता
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