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हिमाचल में वन संरक्षण कानून सेंट्रल यूनिवर्सिटी सहित 30 प्रोजेक्टों की राह में बना रोड़ाः महेंद्र सिंह

शिमला, 21 नवंबर (वार्ता) हिमाचल प्रदेश में वन संरक्षण अधिनियम 1980 प्रदेश में सेंट्रल यूनिवर्सिटी (सीयू) सहित 30 बढ़े प्रोजेक्टों की राह में बाधा बन हुआ है।
सरकार ने इन प्रोजेक्टों में एफसीए की तकनीकी दिक्कतों को दूर करने का मामला एक बार फिर केंद्र से उठाया है। हाल ही में सीयू को लेकर उपजे विवाद के बाद सरकार ने इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। यह जानकारी आज यहां राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ने दी । उन्होंने कहा कि वन संरक्षण कानून (एफसीए) के तहत भूमि का कानूनी दर्जा न बदलने की तकनीकी शर्त के चलते प्रदेश के लिए मंजूर सीयू समेत 30 प्रोजेक्टों के नाम वन भूमि का इंतकाल नहीं हो पा रहा है। इस मुद्दे को राज्य सरकार लगातार केंद्र से उठा रहा है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से एफसीए की तकनीकी दिक्कतों को दूर करवाने के मामले में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से बात करने का आग्रह किया। अनुराग ने देहरा में रैली के मंच से इस मुद्दे पर अफसरशाही पर निशाना साधा था।
श्री ठाकुर ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा कि सीयू धर्मशाला के लिए वन भूमि परिवर्तित करने के लिए प्रदेश सरकार ने तीव्रता से की कार्यवाही की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस विश्वविद्यालय के लिए दो परिसर स्थापित करने के लिए मंजूरी दी है। धर्मशाला में उत्तरी परिसर जदरांगल और देहरा में दक्षिणी परिसर शामिल हैं। दक्षिणी परिसर देहरा के निर्माण के लिए प्रदेश सरकार ने 34.55 हेक्टेयर सरकारी भूमि 2010 में ही केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के नाम स्थानांतरित कर दी थी। जिसका इंतकाल भी 2010 में हो गया था। इसके अलावा 81.79 हेक्टेयर वन भूमि को उपयोगकर्ता एजेंसी निदेशक उच्चतर शिक्षा के नाम वन संरक्षण अधिनियम के तहत परिवर्तित करने की मंजूरी दिसंबर 2018 को प्राप्त हुई थी। लेकिन इसमें यह शर्त लगाई गई थी कि जिस भूमि को परिवर्तित करने की मंजूरी प्रदान की गई है।
सं शर्मा
वार्ता
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