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प्राइवेट सेक्टर लाभ के लिए छोटे किसानों, मंडियों को कर देगा तबाह : खोखर

हिसार, 30 दिसंबर (वार्ता) चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के एस खोखर ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन के समर्थन में आगे आते हुए आज कहा कि कार्पोरेट की जमाखेरी की मंजूरी देने से किसान व जनता लुट जाएंगे और केवल कार्पोरेट लाभ उठायेगा।
श्री खोखर ने यहां बातचीत में कहा कि सरकार मान रही है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को समाप्त नहीं किया जाएगा तो इसके लिए कानून बनाने में देरी नहीं की जानी चाहिए और एमएसपी की कानूनी गारंटी किसानों को तत्काल दी जाए।
उन्होंने कहा है कि तीनों कृषि कानूनों में संशोधन की जरूरत है अन्यथा देश का छोटा किसान व मंडियां बर्बाद हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि इंग्लैंड और अमेरिका में ये तजुर्बे असफल हो चुके हैं। श्री खोखर ने कहा कि किसानों के हितों को सुरक्षित करना बहुत जरूरी है क्योंकि कृषि भूमि लगातार बंट रही है और कम हो रही है।
उल्लेखनीय है कि कल वरिष्ठ वैज्ञानिक नेपाल सिंह वर्मा ने डॉ. खोखर की अध्यक्षता में राज्य के कृषि वैज्ञानिकों की बैठक बुलाई थी जिसमें प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांग की गई थी कि एमएसपी का कानूनी प्रावधान शीघ्र किया जाए और कृषि अध्यादेशों में किसानों के हितों को देखते हुए संशोधन किए जाएं।
डॉ. खोखर ने कहा कि नए अध्यादेशों से तो छोटे बिचौलियों का स्थान बड़े बिचौलिए ले लेंगे जो कि अपने लाभ के लिए कितना भी अनाज जमा कर सकेंगे। उन्होंने कहा, “प्राइवेट सेक्टर तो केवल अपने लाभ की ही सोचेगा। हमारे देश के लिए फ्री मार्केट का सिद्धांत घातक होगा और छोटा किसान व अनाज मंडियां तबाह हो जाएंगे।“
डॉ़ खोखर ने किसानों से अनुरोध किया कि यदि सरकार एमएसपी का कानूनी प्रावधान कर देती है और संशोधित कानून लाती है तो उन्हें अपने आंदोलन पर पुनर्विचार करना चाहिए।
डॉ. खोखर ने कहा कि बिहार में 14 वर्ष पहले मंडियां तोड़ दी गई थीं, आज वहां का किसान इसे भुगत रहा है। वहां के किसानों को मक्का और धान भारी घाटे में बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
सं महेश
वार्ता
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