Saturday, Apr 27 2024 | Time 10:18 Hrs(IST)
image
राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचल


हिमाचल में जल्द शुरू होगा बोन मैरो ट्रांसप्लांटः डाॅ. जनक राज

हिमाचल में जल्द शुरू होगा बोन मैरो ट्रांसप्लांटः डाॅ. जनक राज

शिमला, 30 दिसंबर (वार्ता) हिमाचल प्रदेश में जल्द ही बोन मेरो ट्रांसप्लांट शुरू होने जा रहा है। ये सुविधा इंदिरा गांधी मेडिकल काॅलेज (आईजीएमसी) में लगाई जाएगी।

यह जानकारी आईजीएमसी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. जनक राज ने आज यहां एक पत्रकार वार्ता के दौरान दी।

उन्होंने बताया कि इससे पहले हिमाचल से लोगों को पीजीआई रेफर किया जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अक्सर कैंसर मरीजों कि ऐसा करना पड़ रहा था। इसकी तैयारियां आईजीएमसी कर रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ये सुविधा हिमाचल के लोगों को मिल पाएगी।

उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोग बोन मैरो की परेशानी को हड्डियों के दर्द से जोड़कर देखने की भूल करते हैं। लेकिन, जब कुछ समय के बाद यह दर्द बढ़ने लगता है, तब उनकी परेशानी बढ़ जाती है और उस स्थिति में उनके पास बोन मैरो ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प बचता है। लोगों में बोन मैरो की जानकारी न होने के कारण वे इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं, जिसकी वजह से स्थिति बदतर हो जाती है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांट से तात्पर्य ऐसे मेडिकल प्रक्रिया है, जिसमें बोन मैरो को बदला जाता है। जब किसी व्यक्ति का बोन मैरो किसी बीमारी, संक्रमण या कीमोथेरेपी इत्यादि कारणों से खराब हो जाता है, तो उस स्थिति में बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाता है।

उन्होंने बताया कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने की सलाह सभी लोगों को नहीं दी जाती है बल्कि डॉक्टर केवल उन्हीं लोगों का बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराते हैं, जो इन 5 स्थितियों से जूझ रहे होते हैं। अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित होना- बोन मैरो ट्रांसप्लांट को मुख्य रूप से ऐसे लोगों को किया जाता है, जो अप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित होते हैं। अप्लास्टिक एनीमिया से तात्पर्य ऐसी स्थिति से है, जब किसी व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त मात्रा में ब्लड सैल नहीं बन पाते हैं।

डा0 जनकराज ने कहा कि हड्डियों का कैंसर होना- अक्सर, बोन मैरो ट्रांसप्लांट को हड्डियों के कैंसर से पीड़ित व्यक्ति का भी किया जाता है। बोन कैंसर का असर मैरो पर भी पड़ता है, जिसकी वजह से उसे बदलना ही एकमात्र विकल्प बचता है। कीमोथेरेपी का साइड-इफेक्ट्स- जैसा कि हम सभी यह जानते हैं कि कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी के बहुत सारे सेशन किए जाते हैं। लेकिन, कैंसर से पीड़ित कुछ लोगों पर कीमोथोरेपी का साइड- इफेक्ट हो जाता है, जिसकी वजह से उन्हें काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में बोन मैरो ट्रांसप्लांट बेहतर उपाय साबित कर सकता है।

उनके अनुसार लिंफोमा से पीड़ित होना- यदि कोई व्यक्ति लिंफोमा नामक कैंसर से पीड़ित है, तो उसे डॉक्टर बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने की सलाह देते हैं। जब किसी मानव शरीर में लिम्फ नोड अधिक मात्रा में बढ़ जाती है, तो उसे मेडिकल भाषा में लिंफोमा कहा जाता है। बोन मैरो के जेनेटिक कारण होना- ऊपर दिए गए कारणों के अलावा बोन मैरो ट्रांसप्लांट को उन लोगों पर भी किया जाता है, जिनमें इसके जेनेटिक कारण होते हैं।

सं शर्मा

वार्ता


image