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कृषि कानून किसानों के लिए विकल्प, बाध्यता नहीं : कंवरपाल गुर्जर

हिसार, 27 फरवरी (वार्ता) हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा है कि कृषि कानूनों के माध्यम से सरकार ने किसानों को मंडी के साथ-साथ अन्य जगह अपनी फसल बेचने के प्रभावी विकल्प दिए हैं।
श्री गुर्जर शनिवार को भाजपा कार्यालय में राज्यसभा सदस्य जनरल डीपी वत्स व विधायक विनोद भ्याणा के साथ पार्टी पदाधिकारियों व प्रबुद्घजनों के साथ कृषि कानूनों को लेकर चर्चा कर रहे थे। कार्यक्रम में पहुंचने पर भाजपा जिलाध्यक्ष कैप्टन भूपेंद्र ने शिक्षा मंत्री को पगड़ी पहनाकर उनका स्वागत किया। इसके बाद मुख्यातिथि तथा अन्य गणमान्य लोगों ने संत गुरू रविदास की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि कृषि कानून सही मायने में किसानों के हितों के लिए बनाए गए हैं और इनमें किसानों के हित के सभी विकल्प मौजूद हैं। कृषि कानून में कांट्रेक्ट फार्मिंग व अन्य प्रावधानों को लेकर कोई बाध्यता नहीं है। ऐसी परिस्थिति में यह एकदम स्पष्ट है कि कृषि कानूनों को लेकर किया जा रहा आंदोलन सीधे रूप में किसानों के ही खिलाफ है, जिसके माध्यम से मौका परस्त ताकतें अपने हित साध रही हैं।
उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा भ्रम पैदा किया जा रहा है कि कांट्रेक्ट फार्मिंग जैसे प्रावधानों से किसानों की जमीन छीन ली जाएगी, जो एकदम गलत है। इस प्रावधान से तो कृषि की मार्केटिंग हो पाएगी और किसानों को अधिक मुनाफा होगा। कृषि कानूनों के माध्यम से सरकार चाहती है कि किसानों को पूर्व निर्धारित फसल के दाम मिले, खेती में ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हो और कम से कम जोखिम हो।
उन्होंने कहा कि एमएसपी खत्म होने का बातें भी सिर्फ भ्रम है। इसी प्रकार से मंडियों की व्यवस्था भी पहले की ही तरह बनी रहेगी। किसान को सिर्फ यह ताकत दी गई है कि वह अपनी फसल मंडी में भी बेच सकता है और बाहर भी। खेती से जुड़े लोग अक्सर यह बात उठाते थे कि किसानों को उनकी फसल के दाम तय करने का अधिकारी नहीं है जबकि खेती को छोड़कर अन्य उत्पादकों को अपनी वस्तुओं का दाम निर्धारण करने का अधिकार होता है। इसलिए सरकार ने किसानों को अपने मुल्यों पर फसल बेचने का अधिकार दिया गया है। जब बहुत सारे खरीददार होंगे तो किसानों को फसलों का रेट भी अधिक मिलेगा।
शिक्षा मंत्री ने फसल भंडारण के कानूनों में बदलाव को भी सही बताते हुए कहा कि इस कानून को लेकर भी भ्रम फैलाया जा रहा है। स्टॉक लिमिट के कारण से काला बाजारी बढ़ जाएगी, यह भी गलत है। कानून में ऐसा प्रावधान किया गया है कि यदि किसी फसल के दाम निर्धारित स्तर से बढ़ते हैं तो स्टॉकिस्ट को एक सीमा के बाद अपना स्टॉक बेचना ही होगा।
राज्यसभा सांसद जनरल डीपी वत्स ने कहा कि वर्तमान केंद्र व प्रदेश सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान किसानों के हित में अनेक ऐतिहासिक फैसले लिए हैं। उनकी आय में बढ़ोतरी के लिए भी अनके पहल की गई हैं। कुल मिलाकर तीनों कृषि कानून किसानों की दशा को सुधारने के कानून हैं, इसलिए किसानों को भी सतर्क रहते हुए वास्तविकता को समझना होगा।
सं शर्मा
वार्ता
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