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एआईपीईएफ नेे निजी बिजली उत्पादकों की मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाने की मांग की

एआईपीईएफ नेे निजी बिजली उत्पादकों की मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाने की मांग की

चंडीगढ़, 19 अक्तूबर (वार्ता) ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने मांग की है कि निजी बिजली उत्पादकों की मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाया जाए ताकि वह कोयला संकट के कारण बिजली की कमी का फायदा उठाते हुए बिजली के दाम न बढ़ा सकें।

एआईपीईएफ के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने आज यहां जारी बयान में बताया कि फेडरेशन ने इस संबंध में आज केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह को पत्र लिखा है जिसमें कहा है कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 62 (ए) के तहत नियामक आयोग बिजली की कमी की स्थितियों में बिजली दरों की न्यूनतम व अधिकतम सीमा निर्धारित कर सकता है। पत्र में नियामकों के फोरम की बैठक बुलाकर मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करने और भविष्य में बिजली की कालाबाजारी पर रोक लगाए।

पत्र के अनुसार प्रदेश नियामकों व केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग का हस्तक्षेप कर व बिजली दरों की सीमा निर्धारित करना जरूरी है ताकि निजी बिजली उत्पादकों की मुनाफाखोरी रोकी जा सके और यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि बिजली वितरण कंपनियों के उपभोक्ताओं पर असहनीय बोझ न पड़े।

पत्र के अनुसार निजी बिजली उत्पादकों की मुनाफाखोरी विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 61 (डी) के भी खिलाफ जाती है जिसके अनुसार उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के साथ बिजली की कीमत वाजिब ढंग से वसूली जानी चाहिए।

फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि चूंकि कोयले की कमी बिजली की दरें बढ़ने का कारण बताया जा रहा है, ऊर्जा मंत्रालय को कोयले की कमी खत्म करने पर जोर लगाना चाहिए, वरना यह परिस्थितियां बार-बार दोहराई जाएंगी।

उन्होंने कहा कि यूके में ऑफजेम बिजली आपूर्तिकर्ताओं की कीमतों व गुणवत्ता को नियंत्रित करती है। उसी तर्ज पर यहां भी करना चाहिए।

एआईपीईएफ ने मुंद्रा में टाटा और अडानी के बड़े विद्युत संयंत्रों के बंद होने पर यह कहते हुए सवाल उठाया है कि यह संयंत्र आयातित कोयले से चलते थे और देश के वर्तमान कोयला संकट से इनका कोई लेना देना नहीं था। इसके अलावा रोसा, ललितपुर व बारा में निजी बिजली उत्पादकाें का पीछे हटनेे से बढ़े संकट पर भी फेडरेशन ने चिंता जताई है।

महेश विजय

वार्ता

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