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इराकी महिला को 25 वर्ष बाद तकलीफ से मिली ‘आजादी’

फरीदाबाद 17 मार्च (वार्ता) राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के फरीदाबाद स्थित एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्टरों की एक टीम ने एक इराकी महिला के बाएं टेंपोरल लोब (मस्तिष्क का वह हिस्सा है, जो याददाश्त और ध्वनियों को प्रोसेस करता है) में मौजूद एक ट्यूमर को हटाकर उसे नया जीवन दिया है। यह ट्यूमर व्यक्ति की याददाश्त, भाषण क्षमता और समझ को नियंत्रित करने वाले हिस्सों को प्रभावित करता है।
इराक से आई यह महिला(35) एक गृहिणी है। वह पिछले 25 सालों से इस ट्यूमर की समस्या से जूझ रही थी। इस सर्जरी के बाद उसे नया जीवन मिल गया है। लगभग चार घंटे तक चले ऑपरेशन को अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. मुकेश पांडे की टीम ने सफलतापूर्वक पूरा किया। इस टीम में उनके सहयोगी के तौर पर डॉ. प्रशांत सिंह भी शामिल थे।
डॉक्टरों के अनुसार, उस महिला को यह समस्या तब शुरू हुई, जब वह सिर्फ 10 वर्ष की थी। कम उम्र में उसने पहली बार दौरे का अनुभव किया था। तब से वह प्रतिदिन ही चार-पांच बार दौरे का सामना करने लगी। इस दौरान वह कई बार बेहोश तक हो जाती थी। उसे 25 सालों से हर रोज दवा की 10-10 गोलियां लेनी पड़ रही थी।
उसे कई डॉक्टरों ने सलाह दी कि सर्जरी करना ठीक नहीं, क्योंकि सर्जरी के बाद बोलने की शक्ति खत्म हो सकती है, याददाश्त और भाषा से भी नियंत्रण खत्म हो सकता है।
डॉ. मुकेश पांडे ने बताया, “हमने ट्यूमर को छूने वाले भाषा क्षेत्र की सटीक मैपिंग करने के लिए एक जरूरी एमआरआई किया था। उसके बाद हमने एक विस्तृत सर्जरी की योजना बनाई। इस काम को न्यूरो नेविगेशन के मार्गदर्शन पूरा किया। सर्जरी में टेंपोरल नियोकॉर्टेक्स के साथ-साथ पूरे ट्यूमर को हटा दिया गया। सर्जरी में काफी जोखिम था, क्योंकि रोगी का ट्यूमर मस्तिष्क के उस क्षेत्रों के काफी करीब था, जिसके द्वारा स्मृति, भाषण क्षमता और भाषा को नियंत्रित किया जाता है।”
डॉ. पांडे ने बताया,“काफी चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद इस सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। परिणाम अगले ही दिन दिख गए। मरीज को भाषण या स्मृति संबंधी कोई शिकायत नहीं हुई। सर्जरी को किए एक माह का समय बीत चुका है और इस बीच उसे कोई दौरा नहीं पड़ा।”
संजय
वार्ता
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