राज्य » राजस्थानPosted at: Apr 14 2019 12:04PM ---लोकसभा चुनाव में भी क्या ऐसी ही नीति अपनाई जायेगी, इस पर डेरा के सूत्रों ने कहा कि अभी कुछ तय नहीं है। रणनीति के तीसरे चरण में जाकर तय किया जायेगा। अभी रणनीति के प्रथम चरण के तहत अनुयायियों की बैठकें-सभाएं की जा रही हैं। राजस्थान में अब तक जयपुर और कोटा में सभाएं हो चुकी हैं। गत सात अप्रैल से यह सिलसिला शुरू हुआ है। आज श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ में दोपहर १२ से दो बजे तक अनुयायियों की बैठकें होंगी। आज ही डेरा का स्थापना दिवस भी है। इन बैठकों में जहां नामचर्चा होगी, वहीं जरूरतमंद परिवारों को और विद्यार्थियों को सहायता भी वितरित की जायेगी। डेरा के सूत्रों ने बताया कि इन सभाओं में आने वाले अनुयायियों से अगले चरण के बारे में चर्चा कर उनके रुख की जानकारी ली जायेगी। डेरा सूत्रों ने बताया कि त्रिस्तरीय रणनीति के तहत डेरे की राजनीतिक शाखा ओर से तीन चरणों में डेरा प्रेमियों को एकजुट किया जायेगा। पहले चरण में राजस्थान, पंजाब व हरियाणा के सभी नामचर्चा घरों में डेरा प्रेमियों को एकजुट करके बिखराव के मिथक को तोड़ा जायेगा। इसके बाद बड़ी बैठकें की जायेंगी। दूसरे चरण मेें डेरा प्रेमियों से राजनीतिक तौर पर एकजुट होने और एकसमान फैसला देने की सहमति ली जायेगी। इस सम्बन्ध में कुछ बैठकें आज राजस्थान, हपंजाब और हरियाणा में होने जा रही हैं। तीसरे चरण में डेरे की राजनीतिक शाखा किसी राजनीतिक दल के समर्थन के लिए निर्देश जारी करेगी। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह निर्देश सभी राज्यों में एक समान होगा या राज्य के अनुसार अलग-अलग होगा। सूत्रों ने बताया कि सुनारिया जेल से डेरा प्रमुख की ओर से इशारा मिलने पर ही निर्देश जारी करेगा कि किसका समर्थन करना है। डेरा सच्चा सौदा का राजस्थान के कुछ हिस्सों के अलावा पंजाब, हरियाणा में ज्यादा प्रभाव रहा है। पहले डेरा कभी राजनीतिक पचड़े में नहीं पड़ा था। वर्ष १९९२-९३ में गुरमीत राम रहीम के गद्दीनशीन होने के बाद वर्ष १९९८ में डेरा की राजनीतिक शाखा अस्तित्व में आयी। इसके बाद हर चुनाव में यह शाखा अपने अनुयायियों को आदेश जारी करने लगा कि किस राजनीतिक दल का समर्थन करना है। इससे डेरे की राजनीतिक ताकत बढ़ी। तकरीबन सभी मुख्य राजनीतिक दलों के नेता सिरसा स्थित मुख्य डेरे में जाकर शीष झुकाने लगे। वर्ष २०१७ मेें जब डेरा प्रमुख को साध्वी देहशोषण प्रकरणों में सीबीआई कोर्ट ने लम्बी सजा सुनाई, तब डेरा का ताना-बाना बिखर गया। उसका जलवा-जलाल पहले जैसा नहीं रहा। अनुयायी भी बिखर गये। उनकी आस्थाएं बदल गईं, लेकिन फिर भी कुछ कट्टर अनुयायियों ने निराश नहीं हुए। वे अब भी उम्मीदें लगाये हैं। यही कट्टर अनुयायी अब डेरे की खोई हुई ताकत को फिर से पाने की जुगत में लगे हैं। ये अनुयायी लोकसभा चुनाव में दिखाना चाहते हैं कि अब भी डेरे में चुनावी नतीजे प्रभावित करने की ताकत है। डेरे की राजनीतिक शाखा के अध्यक्ष रामसिंह ने कहा -च्यह बात दिमाग से निकाल दीजिये कि डेरा बिखर गया है। हम एकजुट हैं। नेता चाहे मदद की बात सार्वजनिक तौर पर न मानें, लेकिन वे हमसे सम्पर्क साध रहे हैं।ज् उधर तस्वीर का दूसरा रुख भी है। बेशक डेरा सच्चा सौदा के प्रबंधक, प्रवक्ता और कट्टर अनुयायी लाख दावे करते हों कि उनके मिशन के प्रति करोड़ों लोगों की आस्था है। इन लोगों के जरिये डेरा सच्चा सौदा का कई राज्यों में अब भी प्रभाव कायम है, लेकिन तस्वीर का दूसरा रुख कुछ और ही हालात दर्शाता है। सच्चा सौदा मिशन का मुख्य डेरा हरियाणा के सिरसा शहर में है। सिरसा जिले मेें पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव में डेरा ने भाजपा का समर्थन करने का एलान किया था। तब डेरा प्रमुख को सजा नहीं हुई थी। फिर भी सिरसा की पांचों सीटों में से एक पर भी भाजपा नहीं जीत पाई। यह दीये तले अंधेरे वाली बात है। दूसरा डेरा में पंजाब में अकाली दल-भाजपा का विधानसभा चुनाव में समर्थन किया था। पंजाब के मालवा क्षेत्र, जहां डेरा अपना ज्यादा प्रभाव होने का दावा करता है, वहां इस गठबंधन की करारी हार हुई। यही नहीं डेरा प्रमुख के दामाद जस्सी खुद भी बठिंडा सीट से चुनाव हार गये। डेरा सच्चा सौदा के रणनीतिकारों की लोकसभा चुनाव को लेकर श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिलों पर इस बार खास नजर है। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम का पैतृक गांव गुरुसरमोडिया है, जो श्रीगंगानगर जिले में आता है। उनकी पैतृक कृषि भूमि गांव के नजदीक ही हनुमानगढ़ जिले में आती है। गुरुसरमोडिया में भी सच्चा सौदा का डेरा एवं नामचर्चा घर है, गुरमीत राम रहीम की वहां आलीशान कोठी है। उनके परिवार के सदस्यों-जिनमें माता, उनके पुत्र एवं पुत्रियों एवं दामाद आदि का निरंतर आना-जाना लगा रहता है। डेरा प्रमुख को सजा होने के बाद उनकी माता का ज्यादातर समय गुरुसर मोडिया वाली कोठी में ही गुजर रहा है। इसी गांव में हनीप्रीत को पकड़ने के लिए पुलिस ने कई बार छापे मारे थे।सेठी सुनीलवार्ता