Friday, Apr 26 2024 | Time 19:16 Hrs(IST)
image
राज्य


भारतीय सिनेमा जगत के युगपुरूष ताराचंद बड़जात्या

(पुण्यतिथि 21 सितंबर के अवसर पर)
मुंबई 20 सितंबर(वार्ता) भारतीय सिनेमा जगत के युगपुरूष तारा चंद बड़जात्या का नाम एक ऐसे फिल्मकार के रूप में
याद किया जाता है जिन्होंने पारिवारिक और साफ सुथरी फिल्म बनाकर लगभग चार दशकों तक सिने दर्शकों के
दिल में अपनी खास पहचान बनायी।
फिल्म जगत में “सेठजी” के नाम से मशहूर महान निर्माता ताराचंद बड़जात्या का जन्म राजस्थान में एक मध्यम वर्गीय परिवार में 10 मई 1914 को हुआ था। उन्होंने अपनी स्नातक की शिक्षा कोलकाता के विद्यासागर कॉलेज से पूरी की। उनके पिता चाहते थे कि वह पढ़ लिखकर वैरिस्टर बने लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति खराब रहने के कारण ताराचंद को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। वर्ष 1933 में वह नौकरी की तलाश में मुंबई पहुंचे मुंबई में वह मोती महल थियेटर्स प्राइवेट लिमिटेड नामक फिल्म वितरण संस्था से जुड़ गये। यहां उन्हें पारश्रमिक के तौर पर 85 रुपये मिलते थे । वर्ष 1939 में उनके काम से खुश होकर वितरण संस्था ने उन्हें महाप्रबंधक के पद पर नियुक्त करके मद्रास भेज दिया ।
मद्रास पहुंचने के बाद ताराचंद और अधिक परिश्रम के साथ काम करने लगे। उन्होंने वहां के कई निर्माताओं से मुलाकात की और अपनी संस्था के लिये वितरण के सारे अधिकार खरीद लिये। मोती महल थियेटर्स के मालिक उनके काम को देख काफी खुश हुये और उन्हें स्वयं की वितरण संस्था शुरू करने के लिये उन्होंने प्रेरित किया। इसके साथ ही उनकी आर्थिक सहायता करने का भी वायदा किया। ताराचंद को यह बात जच गयी और उन्होंने अपनी खुद की वितरण संस्था खोलने का निश्चय किया।
15 अगस्त 1947 को जब देश स्वतंत्र हुआ तो इसी दिन उन्होंने “राजश्री” नाम से वितरण संस्था की शुरूआत की। वितरण व्यवसाय के लिये उन्होंने जो पहली फिल्म खरीदी वह थी “चंद्रलेखा”। जैमिनी स्टूडियो के बैनर तले बनी यह फिल्म काफी सुपरहिट हुयी जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ। इसके बाद वह जैमिनी के स्थायी वितरक बन गये। इसके बाद ताराचदं ने दक्षिण भारत के कई अन्य निर्माताओं को हिन्दी फिल्म बनाने के लिये भी प्रेरित किया। ए.बी.एम , अंजली, वीनस, पक्षी राज और प्रसाद प्रोडक्शन जैसी फिल्म निर्माण संस्थायें उनके ही सहयोग से हिन्दी फिल्म निर्माण की ओर अग्रसर हुयी और बाद में काफी सफल भी हुयी। इसके बाद ताराचंद फिल्म प्रर्दशन के क्षेत्र से भी जुड़ गये जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ। उन्होंने कई शहरों मे सिनेमा हॉल का निर्माण किया। फिल्म वितरण के साथ-साथ ताराचंद का यह सपना भी था कि वह छोटे बजट की पारिवारिक फिल्मों का निर्माण भी करें ।
प्रेम, उप्रेती
जारी वार्ता
More News
मध्यप्रदेश : छह सीटों पर शाम पांच बजे तक औसतन 54़ 83 प्रतिशत मतदान

मध्यप्रदेश : छह सीटों पर शाम पांच बजे तक औसतन 54़ 83 प्रतिशत मतदान

26 Apr 2024 | 7:06 PM

भोपाल, 26 अप्रैल (वार्ता) मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में छह संसदीय सीटों पर आज मतदान समाप्त होने के एक घंटे पहले यानी शाम पांच बजे तक औसतन 54़ 83 प्रतिशत मतदान होने की खबर है।

see more..
image