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भारतीय निर्यात बंद होने से पाकिस्तान में डाइस्टफ की कीमतों में दोगुने से अधिक की वृद्धि

अहमदाबाद, 14 नवंबर (वार्ता) भारत की ओर से कश्मीर संबंधी अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की घोषणा के बाद से पाकिस्तान के साथ व्यापार और निर्यात पूरी तरह बंद होने के चलते वहां मात्र लगभग तीन महीने में ही टेक्सटाइल, कागज, चमड़ा और अन्य पदार्थों की रंगाई के लिए इस्तेमाल होने वाले डाइस्टफ रसायनों की कीमतों में दोगुने से भी अधिक की बढ़ोत्तरी हो गयी है।
चाइना डाइस्टफ इंडस्ट्री एशोसिएशन और काउंसिल फॉर द प्रोमोशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड शंघाई की ओर से आज से यहां आयोजित तीन दिवसीय इंटरडाइ एशिया 2019 अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी के उद्घाटन के मौके पर चीनी एशोसिएशन के उपाध्यक्ष कांग बाओशियांग की मौजूदगी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में भारतीय डाइस्टफ के निर्यात को बढ़ावा देने वाले वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के परिषद केमेक्सिल के अध्यक्ष अजय काकडिया और गुजरात डाइस्टफ उत्पादक संघ (जीडीएमए) के अध्यक्ष योगेश डी परीख ने यह जानकारी दी।
श्री काकडिया और श्री परीख ने बताया कि चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश भारत सालाना लगभग एक लाख टन डाइस्टफ का उत्पादन करता है जिसमें से 50 से 60 लाख टन निर्यात होता है। इसमें से लगभग 12 हजार टन यानी करीब 20 प्रतिशत (मूल्य के लिहाज से 2 अरब 80 करोड़ डॉलर के वैश्विक निर्यात में से 50 करोड़ डॉलर) पाकिस्तान को निर्यात किया जाता था। अगस्त माह में कश्मीर संबंधी अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले के बाद से यह पूरी तरह बंद है। इससे पाकिस्तान में डाइस्टफ की कीमते दो गुने से भी अधिक बढ़ गयी हैं।
उन्होंने बताया कि गुजरात जो महाराष्ट्र समेत देश के अधिकांश डाइस्टफ का उत्पादक है, सालाना 50 हजार टन उत्पादन और लगभग 25 हजार टन निर्यात करता है। यहां की करीब 1100 इकाइयों में से 90 प्रतिशत उसी रियेक्टिव डाइस्टफ का उत्पादन करती हैं जिसका पाकिस्तान बड़े पैमाने पर आयात करता था। उसके अलावा यह बंगलादेश, तुर्की और इंडोनेशिया में भी प्रमुखता से भेजा जाता है।
एक प्रश्न के उत्तर में श्री काकड़िया ने बताया कि वैश्विक मंदी और प्रमुख उपयोगकर्ता कपड़ा उद्योग में कमजोरी के चलते डाइस्टफ के निर्यात पर इस साल प्रतिकूल असर पड़ रहा है। पिछले वर्ष के 15 से 20 प्रतिशत की तुलना में इस साल निर्यात वृद्धि दर इस साल कम रहने की संभावना है क्योकि सितंबर माह तक यह मात्र पांच से छह प्रतिशत ही रही है। उन्होंने बताया कि 1975 तक डाइस्टफ के मामले में आयात पर निर्भर रहा भारत अब चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक बन गया है। कपास की रंगाई के डाइस्टफ के मामले में तो यह पहले नंबर पर है और चीन तक भारत से इसे आयात करता है।
रजनीश
वार्ता
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