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लोकरूचि ठाकुरजी दीपावली तीन अन्तिम मथुरा

वृन्दावन के सप्त देवालयों में मशहूर राधा रमण मंदिर में इस दिन ठाकुर जी हटरी पर विराजमान होते हैं तथा संध्या काल में राधारानी के साथ ठाकुर चौसर खेलते हैं। दीपावली के दिन संध्या आरती के बाद जगमोहन में लक्ष्मी पूजन होता है तथा अंदर ठाकुर जी का तिलक होता है। मंदिर के सेवायत दिनेश चन्द्र गोस्वामी के अनुसार ठाकुर के ब्यालू भोग में सभी पकवान रखे जाते हैं और दर्शन खुलते ही मंदिर के सेवायत आचार्य एवं उनके परिवारीजन झोली में प्रसाद लेकर जाते हैं।
भारत विख्यात द्वारकाधीश मंदिरके मशहूर ज्योतिषाचार्य अजय कुमार त़ैलंग ने बताया कि मंदिर में दीपावली पर दीपदान किया जाता है। ठाकुर मोती की हटरी में विराजते हैं तथा शाम को कान जगाई होती है जिसमें ठ़ाकुर गाय के कान में कहते हैं कि कल गोवर्धन पूजा है और उन्हें आना है। मंदिर के कुबेर में लक्ष्मी पूजन बिशन लग्न में वैदिक मंत्रो के मध्य होता ह़ै तथा मंदिर में पर्यावरणहितैषी दीपावली मनाई जाती ह़ै जिसमें मिट़्टी के दीपक में घी या तेल डालकर दिए जलाते है, जहां मंदिर के गर्भगृह में शुद्ध घी के दीपक जलाए जाते है। वहीं दीपोत्सव स्थल मंदिर के जगमोहन में सरसों के तेल के दीपक जलाए जाते है़ं। वृन्दावन के मशहूर बांके बिहारी मंदिर के सेवायत आचार्य ज्ञानेन्द्र गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में दीपावली पर वृहद दीपदान होता है। चौदण्डी की जगह ठाकुर जी चांदी की हटरी में विराजते हैं। मंदिर में शरदपूर्णिमा से पंखों का चलना बंद हो गया है। ठाकुर के भोग में इस दिन से केशर चालू हो जाती है।
दानघाटी मंदिर मेें दीपावली के दिन मंदिर में एक लाख एक दीपकों से दीपोत्सव होगा। यहां का दीपोत्सव सामूहिक आराधना का पर्व बनता है। इसमें श्रद्धालु दीप जलाकर रखते जाते हैं और उन्हें क्रम से हटाना जारी रहता है। कई घंटे चलनेवाला यह कार्यक्रम दर्शनीय होता है। इस दिन मंदिर में वृहद फूल बंगला बनाया जाएगा। कुल मिलाकर दीपावली पर समूचे ब्रजमंडल मे असंख्य दीपकों की दीपमाला बन जाती है। बिजली की सजावट से ब्रज के प्रत्येक मंदिर का मुख्य द्वार तारागणों का समूह बन जाता हैं।
सं भंडारी
वार्ता
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