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उत्तर प्रदेश-दीपावली प्रदूषण दो अंतिम लखनऊ

सीईईडी की वरिष्ठ प्रोग्रामर अंकिता ज्योति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दीपावली के अगले दिन लखनऊ एक मोटी धुंध से घिरा हुआ था। लोगों ने उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बाद भी पटाखे दगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने बताया कि एक साधारण फुलझड़ी से लेकर अधिक उच्च ध्वनि आवाज करने वाले पटाखे नाइट्रेट्स के मिश्रण से बनते हैं। पटाखों को सल्फर, चारकोल, एल्यूमीनियम, टाइटेनियम, तांबा, स्ट्रोंटियम, बेरियम और डेक्सट्रिन से बनाया जाता है। बड़ी मात्रा में विस्फोट के कारण विषाक्त पदार्थ हवा में मिश्रित हो जाते हैं और धुआं बना रहता है। जिसमें सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड के उच्च स्तर होते हैं।
उन्होंने कहा कि लोग वर्षों से दीपावली पर पटाखे फोड़ते रहे हैं, लेकिन वातावरण उतना प्रदूषित नहीं था जितना आज है। अब हम पहले से ही अधिक प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। न्यायालय का निर्णय आम जनता के कल्याण के लिये था। दीपावली के दौरान वायु प्रदूषण की जांच के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में सात और आठ नवम्बर काे चार घंटे का औसत पीएम 2.5 डेटा सात केन्द्रों से लिया था।
रिपोर्ट के अनुसार दीपावली की रात और दूसरे दिन सुबह लखनऊ में प्रदूषण अपने चरम पर था। दीपावली के दिन(12 बजे से चार बजे तक) पीएम 2.5 का स्तर 169 माइक्रोग्राम था। शाम चार बजते ही यह बढ़ा शुरू हो गया और रात आठ बजे से 12 बजे बीच यह अपने चरम स्तर 694 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया और रात 12 बजे बाद यह स्तर 834 तक पहुंच गया था।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने दीपावली पर पटाखे जलाने की समय सीमा रात दस बजे तय की थी , लेकिन लखनऊ में रात करीब एक बजे तक लोगों ने तेज आवाज वाले पटाखे जमकर फोड़े । लोगों ने पुलिस प्रशासन की अपील को अनसुना किया।
भंडारी त्यागी
वार्ता
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