राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Nov 11 2018 2:16PM लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय खाय से शुरूदेवरिया,11 नवम्बर (वार्ता) पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में विशेष रूप से मनाया जाने वाला सूर्य उपासना का महापर्व छठ पूजा रविवार से नहाय खाय से शुरू हो गया। संस्कृत के विद्वान गोरख मिश्र के अनुसार छठ व्रत सूर्य का उपासना का व्रत है। तीन दिन तक व्रती महिलायें कठिन साधना करती हैं। इस व्रत में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। राजा प्रियंवद और रानी मालिनी को कोई संतान नहीं थी। महर्षि कश्यप के कहने पर इस दंपत्ती ने यज्ञ किया जिससे पुत्र की प्राप्ति हुई। दुर्भाग्य से नवजात मृत पैदा हुआ। राजा-रानी प्राण त्याग के लिए आतुर हुए तो ब्रह्मा की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं। उन्होंने राजा से कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से पैदा हुई हूं। इसलिए षष्ठी कहलाती हूं। उनकी पूजा करने से संतान की प्राप्ति होगी। राजा-रानी ने षष्ठी व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। मान्यता है कि पांडव जुए में जब राजपाठ हार गए तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था, जिससे राजपाठ वापस मिला था। माना जाता है कि महाभारत काल में छठ पूजा की शुरूआत सूर्य पुत्र कर्ण ने की थी। सूर्य की कृपा से वह महान योद्धा बनेमहापर्व की शुरूआत 11 नंवबर को नहाय-खाय से शुरू हो गई। छठ के पहले दिन व्रती महिलाएं सिर धोकर स्नान करती हैं और नाखून काटकर शरीर को पूरी तरह से स्वच्छ बनाती है। व्रत के दूसरे दिन 12 नवंबर को खरना होगा। इस दिन निर्जला व्रत रहता है। 13 नवंबर को तीसरे दिन सायं कालीन अर्घ्य दिया जाएगा। व्रत करने वाले सूर्य डूबने से पहले घाट पर पहुंच जायेंगे। शुभ मुहूर्त में जल में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य देंगे और 14 नवंबर को व्रती महिलायें तथा पुरुष उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करते हैं। माना जाता है कि सूर्य की उपासना से मानव के सारे पाप कट जाते हैं।सं प्रदीपवार्ता