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ढाबा बना बस यात्रियों की मुसीबत का सबब

ढाबा बना बस यात्रियों की मुसीबत का सबब

लखनऊ 03 दिसम्बर (वार्ता) खस्ताहाल और अवैध कब्जों के लिये कुख्यात कानपुर लखनऊ राजमार्ग पर स्थित एक ढाबा रोडवेज बस यात्रियों के सफर का अंतराल बढ़ा रहा है।

कानपुर और लखनऊ से हर रोज हजारों की तादाद में लोग बस से यात्रा करते हैं जिनमें पेशेवरों की तादाद खासी है। सड़क मार्ग द्वारा 85 किमी की दूरी तय करने के लिये रोडवेज की बस आमतौर पर दो से ढाई घंटे का समय लेती है जबकि ढाबे पर बसों के ठहराव के चलते यह सफर तीन घंटे से अधिक का समय ले रहा है।

उन्नाव जिले के नवाबगंज क्षेत्र में स्थित राज्य परिवहन निगम से अनुबंधित ‘सूर्यांश ढाबा’ के संचालकों का दावा है कि रोडवेज की हर बस का यहां रूकना अनिवार्य है। इसके लिये ढाबे पर बाकायदा उदघोषक नियुक्त है जो यात्रियों को रोडवेज के नियम का हवाला देते हुये बस से उतरने का अनुरोध करता है। ढाबे पर हर बस 15 मिनट के करीब रूकती है। यहां बस चालक और परिचालक काे मुफ्त में चाय नाश्ते का प्रबंध है।

ढाबा प्रशासन से जुड़े सूत्र बताते है कि अनुबंध के अंतर्गत यहां रूकने वाली हर बस के एवज में रोडवेज को 70 रूपये का भुगतान किया जाता है जिसके चलते रोडवेज प्रशासन ने यात्रियों के कीमती समय को ताक में रख दिया है और इस बारे में की गयी शिकायतों का अनसुना कर दिया जाता है। इस बारे में हालांकि रोडवेज के अधिकारियों से बात नही की जा सकी।

बस यात्री राममूर्ति ने कहा कि ट्रेन की तुलना में रोडवेज बस का टिकट चार गुना महंगा है। ट्रेन की लेटलतीफी से बचने के लिये बस में यात्रा करने का मन बनाया मगर कानपुर में हर समय लगने वाले जाम के चलते बस स्टैंड से जाजमऊ के बीच की मात्र 11 किमी की दूरी तय करने में बस ने 45 मिनट का समय लिया जबकि रही सही कसर बस ने ढाबे पर रूक कर पूरी कर दी। अमौसी के बाद चारबाग बस स्टैंड तक पहुंचने में बस ने एक घंटे का समय लिया।

लखनऊ के पीजीआई में इलाज कराने जा रही शबीना ने कहा कि जल्दी पहुंचने के चक्कर में बस का सहारा लिया था मगर नहीं मालुम था कि इतनी दुश्वारियों का सामना करना पड़ेगा। छोटे से सफर में ढाबे पर बस रूकने का कोई मतलब नहीं है। कई यात्रियों ने विरोध भी जताया मगर ड्राइवर कंडक्टर ने उसे अनसुना कर दिया।

लखनऊ की एक कंपनी में कार्यरत कानपुर के एक दैनिक यात्री इस्लाम फारूखी ने कहा कि ट्रेन की लेटलतीफी से तंग आकर बस की एमएसटी बनवायी थी मगर दोनो महानगरों में लगने वाले रोज रोज के जाम के बाद ढाबे पर ठहराव ने मुसीबतों ने खासा इजाफा किया है। अब यातायात के किस विकल्प को चुनू। कुछ समझ नहीं आता।

प्रदीप

वार्ता

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