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अपराध-चेक क्लोनिंग तीन अंतिम लखनऊ

श्री सिंह ने बताया कि अजय गोपाल बाबू नाम के पोस्टमैन से विभिन्न बैंको द्वारा भेजे जाने वाले चेक बुकों को पैसा देकर के प्राप्त कर लेता था। इसी प्रकार प्रेम बाजपेयी,जो कि बैंक आफ बड़ौदा, गोविन्द नगर कानपुर में कार्यरत है,
से क्लीर चेकों को प्राप्त कर लेता था। इन क्लीयर्ड चेकों पर खाताधारक का खाता नम्बर,खाताधारक का नाम और हस्ताक्षर अंकित रहता था।
उन्होंने बताया कि इस सूचना को बैंककर्मी अजय यादव से साझा कर वर्तमान में खाते में उपलब्ध धनराशि तथा उक्त खाते के अन्तिम भुगतान चेकों की सीरीज तथा खाता धारक का मोबाइल नम्बर उपलब्ध है कि नहीं,की जानकारी प्राप्त कर उसके पास पूर्व से उपलब्ध ब्लैंक चेकों से खाता नम्बर,धारक का नाम और चेक की सीरीज को ब्लैड आदि की सहायता से बडी ही सावधानी पूर्वक हटा दिया जाता है तथा उस खाली स्थान पर लैपटाप एवं प्रिन्टर की मदद से जिन खाता धारकों की धनराशि निकालनी होती है उनके खाता नम्बर तथा उस खाता धारक का नाम और आगे की चेक नम्बर की सीरीज चेक पर प्रिन्ट कर दी जाती है तथा बेयरर चेक के रूप में उक्त चेकाें को सम्बन्धित बैंको में ले जाकर भुगतान प्राप्त कर लेते है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ये लोग जिन खातों में मोर्बाइल नम्बर अंकित रहता है,उन खातों में 50 हजार से कम धनराशि का बेयरर चेक बनाते हैं, जिससे की खाता धारक से मोर्बाइल नम्बर द्वारा भुगतान के लिए तत्काल सत्यापन न हो सके। जिन खातों में मोर्बाइल नम्बर नहीं अंकित होता है उन खातों का 50 हजार से अधिक धनराषि का चेक पूर्व से खुले फर्जी खातों के खाता धारकों के नाम से बनाकर बैंको में जमा करा दिया जाता है और क्लियरिंग के उपरान्त उन खातों से उक्त धनराशि हम लोगों द्वारा निकाल ली जाती है। हम लोगों द्वारा एसबीआइ हजरतगंज में 13 क्लोन चेक तैयार किये गये थे, जिसमें से 06 चेक कैश हो पाये थे। इसी प्रकार कन्नौज, कानपुर नगर और उन्नाव की एसबीआई की विभिन्न शखाओं से चेकों का क्लोन तैयार कर भुगतान कराया गया। उन्होंने बताया कि आदित्य शुक्ला और जगदीप मिश्रा पूर्व में मुट्ठीगंज इलाहाबाद से भी इस प्रकार के अपराध में जेल जा चुके हैं।
त्यागी
वार्ता
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