लखनऊ 13 दिसम्बर (वार्ता) बिजली दरों में बढोत्तरी की संभावना के बीच उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग शुक्रवार को सार्वजनिक सुनवाई के जरिये विद्युत उपभोक्ताओं के मन को टटोलेगा।
उपभोक्ता परिषद ने बिजली दरों में कोई बढ़ोत्तरी गुपचुप दरवाजे से भी न होने पाये को लेकर अपनी पेशबन्दी शुरू कर दी है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने गुरूवार को ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा से मुलाकात कर उपभोक्ता हितों पर बिजली दर के मुद्दे पर चर्चा की और उन्हे मौजूदा हालात अवगत कराया।
श्री वर्मा ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये कानून जिसके चलते बिजली उपभोक्ताओं पर बड़ा भार पड़ना तय है, जिसमें उत्पादन गृहों की राख निस्तारण के लिये एन0एच0ए0आई0 को हाइवे के लिये उपयोग करने के लिये उत्पादन गृहों को फ्री में राख के साथ 300 कि0मी0 तक उसका भाड़ा भी उत्पादन गृहों को देना अनिवार्य किया गया था।
उन्होने कहा कि ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा ने आश्वस्त किया है कि गीली राख के निस्तारण के मामले में उपभोक्ताओं पर कोई भार न पड़े इसलिये केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह को एक पत्र भेज दिया गया है जिसमें कानून में फेरबदल के लिये पुर्नविचार की माॅग की गयी है। श्री सिंह को भेजे गये पत्र में यह मुद्दा उठाया गया है कि उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के सभी परियोजनाओं के राख बाॅध में लगभग 786.121 लाख टन राख उपलब्ध है, जिसे केन्द्र सरकार अधिसूचना के अनुपालन में समान रूप से मात्रा विभक्त करते हुये 100, 200, 300 कि0मी0 तक राख परिवहन में लगभग रू0 11037.00 करोड़ व्यय करने होगे, साथ ही राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के इकाईयों के परिचालन से प्रतिवर्ष 105.56 लाख टन राख उत्सर्जित होगी, जिसके कारण राख परिवहन में प्रतिवर्ष रू0 1482.15 करोड़ व्यय करना होगा।
श्री वर्मा ने कहा कि राख परिवहन में सम्भावित व्यय के कारण विद्युत उपभोक्ताओं पर प्रति यूनिट दरों में लगभग 39 पैसे वृद्धि होने की सम्भावना है। उधर , केन्द्र एवं राज्य सरकार ने 24 घंटे घंटे सस्ती बिजली दिये जाने का संकल्प लिया है इसलिये इसके कारण विद्युत उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त वित्तीय भार डाला जाना जनहित में नही है।
प्रदीप
वार्ता