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राष्ट्रीय-अयोध्या खालिक दो अंतिम अयोध्या

श्री खां ने रिकार्ड के मुताबिक जानकारी देते हुए बताया कि दि एक्वीजीशन आफ सर्टेन एरिया एट अयोध्या एक्ट, 1993 के सेक्शन 7 में विवादित स्थल का विवरण मिलता है। उनका कहना था कि श्रीरामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद काम्पलेक्स इनर कोर्टयार्ड (बाबरी मस्जिद का क्षेत्र) एवं आउटर कोर्ट यार्ड (राम चबूतरे वाला भू-भाग) स्थित कोट रामचन्दर, अवध खास, परगना हवेली अवध की यथास्थिति बनाये रखी जाय। उन्होंने बताया कि नजूल रिकार्ड के अनुसार इसका प्लाट नं. 583 है। राजस्व गाटा के अनुसार विवादित स्थल संख्या 159/160 आंशिक भाग शामिल है। उन्होंने बताया कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का दावा है कि नजूल प्लाट नं. 583 पर है जो उत्तर-दक्षिण 120 फिट लम्बा और पूरब-पश्चिम 80 फिट चौड़ा है। इसके दो भाग हैं, जिसमें 40 फिट में बाबरी मस्जिद स्थित थी शेष 40 फिट में राम चबूतरा का भाग था।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की सुनवाई में भी 2़ 77 एकड़ क्षेत्र की नहीं बल्कि 120 फिट लम्बा और 80 फिट चौड़ा जो विवादित स्थल है उसी भाग का अदालत में दोनों पक्षों द्वारा सुनवाई के लिये कहा गया है। उन्होंने बताया कि मंदिर-मस्जिद विवाद में 14 अपील सर्वोच्च न्यायालय में लम्बित है जिसमें मुसलमानों की ओर से आठ अपील है और हिन्दुओं की ओर से छह अपील है। उन्होंने बताया कि छह अपीलों में मात्र एक अपील मुसलमानों के विरुद्ध है। दो अपील रामलला के विरुद्ध हिन्दू पक्षकारों ने कर रखी है।
श्री खां ने बताया कि हिन्दू पक्ष की ओर से एक-एक अपील निर्मोही अखाड़ा, राजेन्द्र सिंह एवं सुरेश दास के विरुद्ध है। उनका कहने का मतलब यह था कि अदालत में ही हिन्दू पक्षकार एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हैं क्योंकि यह संगठित नहीं हैं और किसी एक पक्ष में अपना-अपना दावा नहीं छोड़ रहे हैं। इसलिए मुसलमान अगर मंदिर-मस्जिद के समझौते की बात करना भी चाहता है तो किस हिन्दू पक्षकार से करे , जिसकी बातें सभी हिन्दू पक्षकार मान सकें। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का जो भी फैसला हो दोनों पक्ष उसे माने।
सं त्यागी
वार्ता
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