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कुम्भ-कुम्भ महत्ता चार अंतिम कुम्भनगर

कुम्भ की कथाओं के अनुसार देवता और व्यक्तियों में 12 दिनों तक जो संघर्ष चला था उस दौरान अमृत कुम्भ से अमृत की जो बूंदे चलती थी और जिन स्थानों पर गिरी थी वहीं वहीं पर कुम्भ मेला लगता है क्योंकि देवों के इन 12 दिनों में 12 मानवी वर्षों के बराबर माना गया है । इसलिए कुम्भ पर्व का आयोजन 12 वर्षों पर होता है जिस दिन अमृत कुम्भ गिरने वाली राशि पर सूर्य चंद्रमा और बृहस्पति का सहयोग हो उस समय पृथ्वी पर कुम्भ होता है राशि विशेष में सूर्य और
चंद्रमा के स्थित होने पर उक्त चारों स्थानों पर शुभ प्रभाव के रूप में अमृत वर्षा होती है और यही वर्षा श्रद्धालुओं के लिए पूर्ण दाई मानी गई है ।
इस प्रकार से वृष के गुरु में प्रयागराज कुम्भ की गुरु में हरिद्वार तुला के गुरु में उज्जैन और करके गुरु में नासिक का कुम्भ होता है सूर्य की स्थिति के अनुसार कुम्भ पर्व की तिथियां निश्चित होती है मगर के सुर में प्रयागराज मैच के सूर्य में हरिद्वार तुला के सुर में उज्जैन और करके सूर्य में नासिक का कुम्भ पर्व पड़ता है अथर्व वेद के अनुसार अथर्व वेद के अनुसार मनुष्य को सर्व सुख देने वाला कौन प्रदान किया गया था कुम्भ में स्नान पर्व का भी अपना महत्व मुहूर्त होता है सक्रांति के पूर्व और बात की 16 घड़ियों में पुण्य काल माना गया है । मूर्ति थी आधी रात से पहले हो तो पहले दिन तीसरे पहर में पुण्य काल बताया गया है और यदि मुहूर्त तिथि आधी रात के बाद हो तो पुण्य काल प्रातः काल माना जाता है।
इसके अलावा मकर संक्रांति का पुण्य काल 40 घड़ी कर्क संक्रांति का पुण्य काल 30 घड़ी और तुला एवं मेष
का संक्रांति का पुण्य काल 20-20 घड़ी पहले और बाद में बताया गया है प्रयाग में माघ के महीने में विशेष रूप से कुंभ के अवसर पर गंगा यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान का बहुत ही महत्व बताया गया है अनेक पुराणों में
इसके प्रमाण भी मिलते हैं प्रयागराज में प्रमुख धार्मिक मन्दिर है जिसमें शंकर विमान मंडपम ,बड़े हनुमान बंधवा रामानंदाचार्य मठ ,सिद्धेश्वर महादेव मंदिर ,जगदंबा डी मठ ,नाग वासुकी शक्तिपीठ ,एलोप शंकरी मां ,ललिता देवी मंदिर,कल्याणी मंदिर ,भारद्वाज आश्रम मंदिर ,शिव कोटि कोटि तीर्थ मंदिर, श्री हनुमान निकेतन मनकामेश्वर मंदिर ,पातालपुरी मंदिर विशेष प्रमुख है।
प्रयागराज में कुल छह कुम्भ स्नान पर्व होते हैं मकर सक्रांति ,पौष पूर्णिमा ,मौनी अमावस्या, माघी पूर्णिमा, बसंत पंचमी ,महाशिवरात्रि प्रयागराज कुम्भ का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है। इस बार यह प्रमुख स्नान पर्वों की तिथियां मकर सक्रांति शाही स्नान मंगलवार 15 जनवरी पौष पूर्णिमा सोमवार 21 जनवरी मौनी अमावस्या सोमवार 4 फरवरी बसंत
पंचमी रविवार 10 फरवरी माघी पूर्णिमा मंगलवार 19 फरवरी महाशिवरात्रि सोमवार चार मार्च को पड़ेगा।
सं त्यागी
वार्ता
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