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कुम्भ-लीड़ कुम्भ स्नान तीन अंतिम कुम्भनगर

आमतौर पर मकरसंक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन 2019 में सूर्य के मकर राशि में बिलम्ब से जाने की वजह से स्नान पर्व 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति के दिन पूजा-पाठ और स्नान-दान का काफी महत्व है। श्रद्धालु स्नान करने के बाद घाट पर बैठे पंडो को चावल, मूंग दाल, नमक, हल्दी का दान कर रहे है। कुछ श्रद्धालु तो कपड़े भी गरीबों में बांटते दिखे।
संगम किनारे रेती पर आस्था, भक्ति और आध्यात्मक का अद्भुत संसार बस चुका है। लघु भारत को अपने में समेटे कुम्भ क्षेत्र में अखाड़ों में आध्यात्म की बयार बह रही है। कुम्भ स्नान में आये श्रद्धालुओं ने कड़कडाती सर्दी में मुफ्त में चाय एवं पीनर भी पसंद नहीं किया।
तीर्थराज प्रयाग की धरती पर यह पहला अवसर था जब उपदेवता की उपाधि से नवाजे जाने वाले किन्नरों के अखाड़े ने स्नान कर पुण्यलाभ कमाया। जिस प्रकार पहले अन्य अखाडों ने अपने ईष्ट देव को स्नान कराने के बाद आस्था की डुबकी लगाई उसी प्रकार किन्नर अखाड़े ने भी पहले अपने आराध्य महादेव के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप को स्नान करने के बाद संगम में डुबकी लगाई। किन्नर अखाडे की आचासर्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी समेत किन्नार अखाडे की ओर से उत्तर भारत की प्रभारी महामंडलेश्वर भवनी मां, कामिनी, पुष्पा माई, पवित्रा, आशा, पूनम ,पायल और प्रांजल समेत कई किन्नरों ने आस्था की डुबकी लगाई
दिनेश त्यागी
वार्ता
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