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राष्ट्रीय-नायडू सबक दो प्रयागराज

श्री नायडू ने कहा कि भारत को विश्व गुरू का दर्जा हासिल है। पूरी दुनिया के लोग नालंदा और तक्षशिला जैसे कई शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा ग्रहण करने आते थे। इतिहासकार ह्वेनसँग और फाह्यान ने भी इसकी महत्ता को चरितार्थ किया है
भारत शिक्षित और शांतिप्रिय देश रहा है।
उन्होने कहा कि भारतीय परंपरा में माना गया है कि ‘मानव सेवा ही माधव सेवा है।” महात्मा गांधी ने कहा था कि यदि ईश्वर को जानना है तो मानव सेवा में स्वयं को समर्पित करें। उन्होंने कहा कि पिछले दिनो वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया था। वहां लौटे मेहमानों ने बताया कि ‘भारत बदल रहा है।” वाराणसी हो या प्रयाग, पहली बार ऐसा सम्मान और अपनापन पाकर अपार प्रसन्नता हुई। ऐसा पहले कभी नहीं न/न तो देखा था और न ही पाया।
श्री नायडू ने कहा कि कुंभ भारत का विरासत है। भारत केवल तकनीकी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि संस्कृति और परंपरा सभी क्षेत्रों में बदलाव आया है। कुंभ में भारत के सांस्कृतिक इंद्र धनुषी रंग बिखरे पड़े हैं। सुदूर प्रांतो से आये श्रद्धालुओं ने इस अवसर को गरिमा प्रदन की है। पांडालों में हाे रहे सत्संग, धार्मिक प्रवचन भारत की सनातन परंपरा के अनुरूप है। महाकुंभ का पूरा वातावरण सात्विक एवं पवित्र है। सरकार ने श्रद्धालुओं के लिए हर संभव प्रयास किए हैं। दुनिया आये तीर्थयात्रियों के लिए प्रयागराज को यादगार बनाने का प्रयास किया गया है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे युवाओं के सपनों में आधुनिक भारत आकार ले रहा है। स्वामी विवेकानंद का जीवंत आदर्श है जिन्होने देश का भविष्य उसके लोगों में देखा था। उन्होंने कहा था निर्भीक, निश्चल और साहसी एवं आदर्श युवा ही देश के भविष्य की नींव रख सकता है। स्वामी जी मानते थे जो भी आपको दैहविक, मानसिक, आध्यात्मिक रूप से कमजोर करता है वह विष के समान है, उसका परित्याग करो।
दिनेश प्रदीप
जारी वार्ता
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