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कुम्भ-एकता संदेश दो अंतिम कुंभ नगर

साहसी गौड़ा ने बताया कि अब तक वह 15000 हजार किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर चुके हैं। उनका मकसद गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराना नहीं है बल्कि लोगों में देश प्रेम,शिक्षा और आपसी भाईचारे की भावना को विकसित करना है। उन्होने बताया कि जेब में धेला नहीं रहने के बावजूद वह कभी भूखे नहीं रहे। रात किसी मंदिर अथवा गुरूद्वारे में बिताते हैं और वहीं भोजन की भी व्यवस्था हो जाती है।
उन्होने बताया कि अच्छे कार्य और सत्मार्ग पर चलने से तमाम प्रकार के झंझावतों का सामना भी करना पडा है। यात्रा के दौरान कई प्रकार के अनुभव भी हुये। कोई उनके कार्याे की सराहना करता है तो कोई उन्हे ठग कहकर सम्बोधित कर बेइज्जत करने का प्रयास करता है।
यात्रा के दौरान पंजाब में विधायकों,राजस्थान में राज्यपाल कल्याण सिंह, दिल्ली में मुख्यमंत्री केजरीवाल, शीला दीक्षित, दिग्विजय सिंह आदि से मुलाकात कर चुके हैं। सभी ने उनके जज्बे की सराहना की। शादी उनके मार्ग में बाधक बन सकती बनती है इसलिए उन्होने समाज सेवा और लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से शादी नहीं की।
सामाजिक कार्यकर्ता डा एस एन सुब्बाराव के कैम्प में बैंगलोर गया था। उसके बाद गोरखपुर के पास कुशीनगर में भी वह कैम्प कर चुके हैं। वह मनोज कुमार की देशभक्ति की फिल्मों के प्रति आकर्षित रहते हैं। उन्हे इस मार्ग पर चलने की प्रेरणा डा सुब्बाराव और मनोज कुमार की देश भक्ति की फिल्मों से मिली है। डा सुब्बाराव ने चम्बल के डाकुओं को आत्मसमर्पण कराने में अहम भूमिका का निर्वहन किया था।
नागराज ने बताया कि सबसे बड़े गांधीवादी माने जाने वाले एस एन सुब्बाराव उन चुनिंदा लोगों में से हैं, जिन्होने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए और जेल भी गए। गांधीवादी विचारों को स्थापित कराने के लिए वर्ष 1954 में चंबल की घाटी में कदम रखा। वर्ष 1972 में जय प्रकाश नारायण के समक्ष मोहर सिंह और माधो सिंह जैसे दुर्दांत डकैतों को हथियार समेत सरेंडकर कराकर शांति की मिसाल कायम की।
दिनेश प्रदीप
वार्ता
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