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अमरोहा में कभी नहीं मिला आधी आबादी को प्रतिनिधित्व का मौका

अमरोहा में कभी नहीं मिला आधी आबादी को प्रतिनिधित्व का मौका

अमरोहा, 29 मार्च(वार्ता) इसे राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी कहें या पुरूष प्रधान समाज का दंभ मगर सच है कि महिला सशक्तिकरण और उनके हित की बात करने वाले लोगों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा संसदीय क्षेत्र में आज तक किसी भी महिला प्रतिनिधि को अपने संसदीय क्षेत्र में काम करने का अवसर नहीं दिया।

तीन तलाक, खुले में शौच से मुक्ति और उज्जवला योजना, इन सबके केंद्र में भले ही महिला हो लेकिन जब चुनावी महापर्व की बात आती है तब महिलाओं को प्रमुखता देने में सभी प्रमुख राजनीतिक दल उपेक्षापूर्ण रवैया अपना लेते हैं। आजादी के बाद पहली लोकसभा में संसद में महिलाओं की हिस्सेदारी चार फीसदी थी जो 70 सालों बढकर 11 फीसदी तक ही पहुंच सकी है।

अमरोहा लोकसभा क्षेत्र से 1952 से लेकर मौजूदा चुनाव तक किसी भी प्रमुख राजनैतिक दल ने महिला को लोकसभा प्रत्याशी के लायक नहीं समझा और ना ही टिकट दिया गया हालांकि अमरोहा से सटे मुरादाबाद जिले में पहले दो संसदीय क्षेत्र आते थे जिसमें मुरादाबाद के अलावा संभल में शांति देवी को टिकट दिया गया था और उसमें वह विजयी रहीं थीं। संभल क्षेत्र से 1977 में भारतीय लोकदल से और वर्ष 1984 में कांग्रेस से शांति देवी सांसद बनी थीं।

अमरोहा सीट से इस बार कांग्रेस प्रत्याशी सचिन चौधरी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कंवरसिंह तंवर तथा सपा-बसपा गठबंधन के तहत बहुजन समाज पार्टी प्रत्याशी कुंवर दानिश अली और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने मतलूब अहमद को प्रत्याशी बनाया है।

सं प्रदीप

जारी वार्ता

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