राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Apr 19 2019 1:06PM लोकरूचि झील पर्यटन दो अंतिम संतकबीरनगरवन विभाग के सूत्रों ने बताया कि इस झील में दर्जनों प्रजाति के पक्षी विचरण करते हैं। यहां आने वाले विदेशी पक्षियों में लालसर, ह्विलसील, कोचार्ड, सुर्खाब, गोजू, सवल, पिंटेल आदि हैं जबकि स्थानीय पक्षियों में कैमा, वाटरहेन, कारमेंट, बगुला, सारस समेत दर्जनों प्रजाति के पक्षियों की चहचहाट से झील गुलजार रहता है। झील को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की संभावना तलाश करने के लिए केन्द्र सरकार की चार सदस्यीय टीम ने करीब एक साल पहले झील के लिए तैनात विभागीय कर्मचारियों से जानकारी ली थी। उन्होने बताया कि टीम के सदस्य नाव पर बैठकर झील के अंदर भी गये थे। झील के अंदर टीम के सदस्यों ने पानी, वनस्पतियों, चिडियों तथा तितलियों को काफी करीब से देखा था। टीम के सदस्यों ने बताया था कि यह झील प्रकृति का वरदान है। इसके अस्तित्व को बचाने की आवश्यकता है। झील को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की काफी संभावनाएं हैं। यह झील मौसम के परिवर्तन को नियंत्रित करने के साथ , कीड़ों के शमन करता है और जलस्तर तथा तापमान को नियंत्रित कर रहा है।इसके बाद भी यह झील उपेक्षित है। सूत्राें के अनुसार यहां पर्यटन केंद्र बनने पर क्षेत्र के युवाओं को रोजगार प्राप्त होगा। इसके साथ ही यह झील जंगल की अपेक्षा 10 गुना अधिक कार्बन अवशोषित करता है। पानी में जो पौधे हैं वे अधिक कार्बन सोखते हैं। जलस्तर को ठीक करने के लिये झील का संरक्षण बेहद आवश्यक है। यहां 40-50 फिट पर पानी मिल जाता है वहीं कुछ स्थानों पर जलस्तर इतना नीचे चला गया है कि वहां 500 फिट तक पानी उपलब्ध नहीं है। स्वच्छ जल के लिए झील बेहद जरूरी है। इस संबंध में रेंजर अनूप वर्मा ने बताया कि केन्द्रीय टीम ने झील का निरीक्षण करने के बाद क्या योजना बनाई इसकी जानकारी नहीं हो सकी है। झील के संरक्षण की जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए चिड़ियों के शिकार पर प्रतिबंध लगाने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बजट के अभाव में पक्षी विहार का। विकास रुका है। शासन इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है।सं प्रदीपवार्ता