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उत्तर प्रदेश-किसान आय दो लखनऊ

इस अवसर पर रणवेन्द्र प्रताप सिंह, कृषि राज्य मंत्री,ने बताया कि सरकार द्वारा 5.1 प्रतिशत विकास दर कृषि के लिये रखी गयी है। वर्ष 2022 तक कृषकों की आय को दोगुना करने के लिये सरकार कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि केवल कृषि से ही कृषकों की आय दोगुनी नहीं की जा सकती। प्रदेश की जोतें छोटी हैं जिससे कृषकों को अधिक लाभ नहीं हो पा रहा है। उन्होने आय बढ़ाने के लिए पशुओ की नस्ल सुधार कर पशुधन बढ़ाने तथा बकरी पालन मुर्गी पालन व बतख पालन पर जोर दिया।
उन्होंने रासायनिक खाद कीटनाशकों के प्रयोग से आने वाले पर्यावरर्णीय तथा मानव में हो रही समस्याओं से सचेत करते हुए जैविक खेती करने पर बल दिया। उन्होने कहा कि गाय पालन कर उसके मूत्र व गोबर का उपयोग कृषि में करके कम लागत में अधिक उत्पादन दिया जा सकता है।
सेमिनार में प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक, सी.एस.आई.आर. संस्थानों के वैज्ञानिक, कृषि, पशुपालन, उद्यान, मत्स्य, रेशम, बीज प्रमाणीकरण संस्था, बीज विकास निगम, राज्य प्रबन्ध संस्थान, यू.पी. एग्रो के निदेशकगण तथा प्रगतिशील कृषकों द्वारा भाग लिया गया। संगोष्ठी में देश एवं प्रदेश के कृषि एवं तत्संबंधी विशेषज्ञों द्वारा कृषकों की आय बढ़ाने हेतु भविष्य के लिए रणनीति बनाने पर चर्चा की गयी।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में महानिदेशक, उपकार डा0 बिजेन्द्र सिंह के द्वारा परिषद के विगत 30 वर्षों के कार्यों का संक्षिप्त विवरण दिया गया। उन्होंने बताया कि परिषद की स्थापना 14 जून, 1989 को मूलतः राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों एवं राज्य प्रशासन के विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिये की गयी। वर्ष 2001 में कृषि विश्वविद्यालयों के लिए राज्य के कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के दायित्व के लिए उपकार को नोडल एजेन्सी नामित किया गया है ,लेकिन यह संस्था विगत वर्षों में नोडल एजेंसी के रूप में आशातीत कार्य नहीं कर सकी है, इसे शासन तथा कृषि विश्वविद्यालयों के सहयोग से इसके उद्देश्यों के अनुरूप गति दी जा सकती है।
उन्होंने परिषद द्वारा कार्यान्वित करायी गयी ऊसर भूमि सुधार परियोजना तथा कृषि विविधीकरण परियोजना का उल्लेख किया जिनकी संस्तुतियों का प्रदेश के कृषक ले रहे है। परिषद द्वारा शोध निधि तथा रिवाल्विंग फंड द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं पर प्रकाश डालते हुए महानिदेशक द्वारा भविष्य की शोध प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्रदेश सरकार की प्राथमिकता के अनुरूप गन्ने में एथनाॅल की रिकवरी के लिये प्राथमिकता रखी गयी है। उक्त के अतिरिक्त अन्य प्राथमिकताएं परिषद द्वारा विज्ञापित की गयी हैं जिन पर प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों एवं शोध संस्थानों से परियोजनाएं प्राप्त कर शोध कार्य किया जायेगा।
त्यागी
जारी वार्ता
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