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उत्तर प्रदेश में दिमागी बुखार के मरीजों की तादाद में गिरावट

उत्तर प्रदेश में दिमागी बुखार के मरीजों की तादाद में गिरावट

गोरखपुर 28 जून (वार्ता) चमकी वायरस के संक्रमण से जूझ रहे बिहार से जुदा उत्तर प्रदेश में दशकों से गंभीर बीमारी का सबब बना एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) संक्रमित मरीजों की तादाद में उल्लेखनीय गिरावट आयी है।

सूबे में हर साल सैकड़ों मासूमों को असमय काल के आगाेश में समाने के लिये मजबूर करने वाले इस वायरस पर प्रभावी नियंत्रण हुआ है जिसके चलते इस साल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में अब तक सिर्फ 19 बच्चों की जानलेवा बीमारी से मृत्यु हुयी है जबकि दूसरी ओर पड़ोसी राज्य मे चमकी वायरस से संक्रमित 150 से अधिक बच्चों की मृत्यु हो चुकी है।

मेडिकल कालेज के सूत्रों ने शुक्रवार को दावा किया कि पिछले दो साल में एईएस और जेई पीड़ित मरीजो की संख्या और इस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की जा रही है। कालेज के प्रधानाचार्य डा गणेश कुमार ने पत्रकारों को बताया कि जनवरी से अब तक अस्पताल में एईएस और जेई संक्रमित कुल 87 मरीज भर्ती किये गये जिनमें 19 बच्चों ने दम तोड़ दिया।

उन्होने कहा कि 2017 में एईएस और जेई संक्रमित 2248 मरीज अस्पताल में भर्ती हुये जिनमें 512 की जान को बचाया नहीं जा सका। इसकी तुलना में 2018 के दौरान दिमागी बुखार से पीड़ित अस्पताल में भर्ती 1047 में से 166 को अपनी जिंदगी गंवानी पड़ी।

प्रधानाचार्य ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और पडोसी राज्य बिहार में पिछले एक दशक से आतंक का पर्याय बने इस वायरस पर काबू पाने के लिये डाक्टरों और प्रशासन को कडी मशक्कत करनी पडी। अस्पताल में बिस्तरों की संख्या बढाने के साथ साथ लिक्वड आक्सीजन और वेंटिलेटर समेत तमाम अन्य सुविधाओं में इजाफा किया गया वहीं जिला प्रशासन के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता शिविरों के आयोजप के अलावा साफ सफाई की बदौलत संक्रमण को नियंत्रित करने जैसे कई प्रयोग अमल में लाये गये।

उन्होने बताया कि अगस्त 2017 में करीब 60 बच्चों को बीआरडी मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसमें 60 बच्चों की आक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु हो गयी थी।

योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद इस बीमारी से निपटने के कई उपाय अमल में लाये गये। ग्रामीण क्षेत्रों में वृहद टीकाकरण अभियान चलाया गया जबकि शौचालयों के निर्माण और अन्य सुविधाआें ने भी गंभीर बीमारी से निपटने में मदद की।

प्रदीप

वार्ता

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