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उत्तर प्रदेश-सर्फ विष अनुसंधान दो अंतिम लखनऊ

श्री नाईक ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से यह जानकारी मिलेगी कि उत्तर प्रदेश में विभिन्न प्रजातियों के सांपों में जहर की कितनी किस्म है और अलग-अलग मौसम एवं स्थान में होती है। सांप के जहर की कौन प्रजाति कितनी घातक है, उसी प्रकार उस पर अनुसंधान कर जहर से बचाव किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सांप के काटने से होने वाली मृत्यु को दैवीय आपदा की श्रेणी में घोषित किया है तथा पीड़ित परिवार को राहत के तौर पर रूपये 4 लाख मुआवजा देने की बात कही है।
इस मौके पर हाफकिन संस्थान की निदेशक ने कहा कि संस्थान के प्रस्ताव के उत्तर प्रदेश राज्य सरकार से सांप पकड़ने की अनुमति चाही है। सांप को पकड़कर उसका जहर निकाला जायेगा जिससे ‘एण्टी वेनम’ का निर्माण होगा। इस प्रक्रिया में सांप को कोई नुकसान नहीं होगा और बाद में उसको वही सुरक्षित छोड़ा जायेगा जहाँ से वह पकड़ा गया था। सांप का जहर उसी प्रजाति, स्थान और मौसम के लिहाज से अलग-अलग होता है। उन्होंने कहा कि संस्थान ‘वेनम मैपिंग एण्ड इस्टेबलिशमेंट ऑफ स्नेक रेस्क्यु सेंटर’ परियोजना पर भी कार्य करना चाहता है जिसमें आर्थिक सहयोग की भी आवश्यकता पड़ेगी।
डाॅ0 निशिगंधा ने स्वास्थ्य विभाग के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह एवं अधिकारियों से इस विषय पर चर्चा करते हुये कहा कि सर्पदंश वाले व्यक्ति का निःशुल्क इलाज होना चाहिये क्योंकि यह आकस्मिकता से जुड़ा है। ‘एण्टी वेनम’ और ‘एण्टी स्कार्पियन वेनम वैक्सीन’ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, अस्पतालों और एम्बुलेंस में भी उपलब्ध होनी चाहिये। जो लोग सांप के काटने से अपाहिज हो जाते हैं उनको भी आर्थिक सहायता की जाये। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश सरकार सांप द्वारा काटे जाने पर होने वाली मृत्यु पर आर्थिक सहयोग करती है।
स्वास्थ्य मंत्री एवं वन मंत्री ने आश्वासन देते हुये कहा कि राज्य सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी तथा शीघ्र ही इस पर निर्णय लेकर कार्य आरम्भ करेगी।
त्यागी
वार्ता
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