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ऊर्जा निगमों के निदेशकों की नियुक्ति को लेकर बिजली इंजीनियरों के बागी तेवर

लखनऊ 11 जुलाई (वार्ता) उत्तर प्रदेश के ऊर्जा निगमों में निदेशक स्तर के चार पदों पर हुयी नियुक्ति के विरोध में बिजली इंजीनियर खुल कर सामने आ गये हैं।
उनका आरोप है कि ऊर्जा निगमों के अनुभवी अभियन्ताओं को नजरंदाज कर निदेशक स्तर के चार पदों पर उड़ीसा एवं बिहार के व्यक्तियों की नियुक्ति हतोत्साहित करने वाली है। उन्होने निजीकरण के छुपे एजेण्डे को आगे करने का आरोप लगाते हुए इन निदेशकाें की नियुक्तियां रद्द करने की मांग की है।
उन्होने कहा कि 10 जुलाई को ऊर्जा निगमों के कुल पांच पदों में से चार पर एनटीपीसी, पावर ग्रिड एवं ओपीटीसीएल के व्यक्तियों को 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने तक निदेशक पदों पर नियुक्त किया गया है जबकि केन्द्र सरकार के उपक्रमों के लिये निदेशकों की अधिकतम आयु 60 वर्ष हीं निर्धारित है।
उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ के अध्यक्ष जीके मिश्रा एवं महासचिव राजीव सिंह ने गुरूवार को कहा कि ऊर्जा निगमों में निदेशक पदों पर नियुक्ति के लिये प्रकाशित विज्ञापन में अधीक्षण अभियन्ता एवं मुख्य अभियन्ताओं को अर्हता शर्तों में शामिल किया लेकिन विभागीय अधीक्षण अभियन्ता एवं मुख्य अभियन्ताओं/अधिशासी निदेशकों के अनुभवों को नजरंदाज तथा विभागीय अभियन्ताओं पर भरोसा न करते हुए बाहर के व्यक्तियों पर भरोसा जताते हुए निदेशक पदों पर नियुक्तियां की गयी हैं जो विभागीय अभियन्ताओं को हतोत्साहित एवं उनका मनोबल तोड़ने वाली कार्यवाही है। सरकार के इस कदम से प्रदेश के विद्युत अभियन्ताओं में आक्रोश है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के राज्य ऊर्जा निगमों में बहुत ही काबिल एवं अनुभवी अभियन्ता कार्यरत हैं एवं पूर्व में बिजली बोर्ड के ही अभियन्ताओं ने पावर ग्रिड एवं एनटीपीसी की स्थापना के समय अपने अनुभवों को साझा किया था जिससे ये उपक्रम आज इस स्थिति में हैं।
विद्युत अभियन्ताओं ने सरकार से पूर्व में नियुक्त किये गये तथा वर्तमान में नियुक्त बाहर से लाये गये सभी निदेशकों की नियुक्तियां रद्द कर विभागीय अधिकारियों को निदेशक बनाने की मांग की है।
प्रदीप
वार्ता
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