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सूर्यांश ढाबा बस यात्रियों के लिये सिरदर्द

उन्नाव 31 जुलाई (वार्ता) सड़क हादसे में घायल उन्नाव की बलात्कार पीड़िता के मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो के राडार पर आये उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के एक मंत्री के दामाद अरूण सिंह का सिक्का सड़क परिवहन निगम में जमकर चलता है और इसी प्रभाव के चलते अति व्यस्त कानपुर लखनऊ राजमार्ग पर मानको को दरकिनार कर एक ढाबे पर रोडवेज की हर बस का ठहराव दिया जाता है।
नवाबगंज के ब्लाक प्रमुख अरूण सिंह का नाम सीबीआई की प्राथमिकी में नामजद नौ आरोपियों की सूची में शामिल किया गया है। सीबीआई ने उन्नाव की पीड़िता के साथ हुये सड़क हादसे की जांच आज शुरू की है। इस मामले में पीडिता के परिजनों की तहरीर पर भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
सूत्रों के मुताबिक नवाबगंज क्षेत्र में स्थित ‘सूर्यांश ढाबा’ भाजपा ब्लाक प्रमुख अरूण सिंह के संरक्षण में संचालित है। परिवहन निगम के सूत्रों के मुताबिक मानकों के अनुसार 100 किमी से कम दूरी पर रोडवेज की बस काे किसी ढाबे पर रूकने का औचित्य नहीं है लेकिन कानपुर से मात्र 45 किमी की दूरी पर स्थित इस ढाबे पर रोडवेज की अधिसंख्य बसें रूकती है। इनमें कानपुर स्थित सभी डिपों की बसों के अलावा महोबा,झांसी,राठ,हमीरपुर,औरेया,इटावा और उन्नाव डिपों की बसें शामिल है।
यात्रियों के विरोध जताने पर चालक परिचालकों का तर्क होता है कि उन्हे इस अधिकृत ढाबे पर बस रोकने के स्पष्ट निर्देश है और नहीं मानने पर भारी भरकम जुर्माने का प्रावधान है। कानपुर में विकास नगर डिपो और उन्नाव डिपो के चालकों ने कहा कि ढाबे में बस नहीं रोकने पर उनसे 500 रूपये तक का जुर्माना वसूला गया है। इस बारे में कानपुर परिक्षेत्र के प्रबंधक रोडवेज अतुल जैन का तर्क है कि बस चालकों को अधिकृत ढाबे पर ही बस रोकने के निर्देश है हालांकि यह कोई बाध्यता नहीं है।
गौरतलब है कि कानपुर और लखनऊ के बीच हर रोज हजारों की तादाद में यात्री सफर करते है। उनमें ऐसे यात्रियों की तादाद ज्यादा होती है जो किसी जरूरी काम से लखनऊ अथवा कानपुर जाते है और उन्हे उसी दिन वापस भी लौटना होता है। यात्रियों की शिकायत है कि दोनो महानगरों के बीच दूरी महज 80 किमी है जबकि टूटा फूटा राजमार्ग और खटारा बसों से इस सफर में ढाई घंटे का समय लगता है, उस पर बस के ढाबे पर रूकने से सफर की अवधि तीन घंटे तक पहुंच जाती है। आला अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद यह सिलसिला पिछले दो सालों से अनवरत जारी है।
प्रदीप
वार्ता
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