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लोकरूचि-गुड़िया परंपरा दो अन्तिम प्रयागराज

श्री सिन्हा ने बताया कि त्योहारों और समारोहों का देश है भारत जहां हर दिन त्योहार के रूप में मनाया जाता है। धीरे-धीरे त्योहारों के बदलते परिवेश में युवा पीढ़ी इनकी महत्ता से अनभिज्ञ होती जा रही है। आंचलिक त्यौहार या क्षेत्र विशेष में मनाये जाने वाले त्योहारों पर निश्चित रूप से लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। खासकर वे त्यौहार जिनका
धार्मिक अनुष्ठान से कोई लेना देना नहीं है और सिर्फ और सिर्फ सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करते है । कई त्योहारों के तरीके बदल गए ,कई त्यौहार अपना महत्त्व खो बैठे और कई त्यौहार वक्त की मार नहीं झेल पाए।
उन्होंने बताया कि गुडिय़ा पर्व क्यों मनाया जाता है इसके बारे में कोई ठोस प्रमाण तो नहीं है, इसे लेकर कई कहानियां प्रचलित है। किवदंतियों के अनुसार तक्षक नाग बहुत ही जहरीला था। इसमें इतनी शक्ति थी कि अपने विष से हरे-भरे वृक्ष को भी सूखा सकता था। एक बार महाराज परीक्षित को एक ऋषि ने शाप दे दिया कि तक्षक नाग तुम्हें डसेगा जिससे तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। ऋषि के श्राप से तक्षक ने नियत समय पर परीक्षित को डस लिया। इससे उनकी मृत्यु हो गयी।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और तक्षक की चौथी पीढ़ी में कन्या का विवाह राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में हुआ। उस कन्या ने ससुराल में एक महिला को यह रहस्य बताकर उससे किसी अन्य को भी नहीं बताने के लिए कहा। उस महिला ने दूसरी महिला को यह बात बता दी और यह राज किसी से नहीं बताने के लिए कहा। लेकिन धीरे-धीरे यह बात पूरे नगर में फैल गई।
तक्षक के तत्कालीन राजा ने इस रहस्य को उजागर करने पर नगर की सभी लड़कियों को चौराहे पर इकट्ठा करके कोड़ों से पिटवा कर मरवा दिया। वह इस बात से क्रुद्ध हो गया था कि औरतों के पेट में कोई बात नहीं पचती है। तभी
से नागपंचमी पर गुड़िया को पीटने की परम्परा है।
एक दूसरी कथा के मुताबिक, किसी नगर में एक भाई अपनी बहन के साथ रहता था। भाई, भगवान भोलेनाथ का भक्त था। वह प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ के मंदिर जाता था। वहाँ उसे एक नागदेवता के दर्शन होते थे। वह लडक़ा रोजाना उस नाग को दूध पिलाने लगा। धीरे- धीर दोनों में प्रेम बढऩे लगा। लडक़े को देखते ही सांप अपनी मणि छोडक़र उसके पैरों में लिपट जाता था। इसी तरह एक दिन सावन के महीने में भाई-बहन मंदिर गए थे। मंदिर में नाग लड़के को देखते ही उसके पैरों से लिपट गया। बहन ने जब देखा नाग भाई के पैर से लिपट पर उसे काट रहा है। उसने भाई की जान बचाने के लिए नाग को पीट-पीट कर मार डाला। इसके बाद जब भाई ने पूरी कहानी सुनाई तो लड़की प्रायश्चित कर रोने लगी। फिर लोगों ने कहा कि नाग “देवता” का रूप होते हैं इसलिए दंड तो मिलेगा चूंकि यह गलती से हुआ है इसलिए कालांतर में लड़की की जगह गुड़िया को पीटा जाएगा।
दिनेश भंडारी
वार्ता
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