राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Aug 22 2019 1:37PM उत्तर प्रदेश-बाढ़ वटवृक्ष दो अन्तिम प्रयागराजश्री श्रीवास्तव ने बताया कि पत्नी सविता कई बार गंगा स्नान उनके साथ कर चुकी है। लेकिन दुर्भाग्य ऐसा रहा कि वटवृक्ष का दर्शन नहीं कर सकी थी। बड़ी आस्था के साथ गंगा मैया का दर्शन और आस्था की डुबकी लगाकर मन शांत और गदगद् हो गया। वटवृक्ष का दर्शन से मरहूम की पीड़ा बयां नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि जब सबिता के भाग्य में वटवृक्ष का दर्शन होगा तभी मिलेगाा उससे पहले नहीं। सबिता ही अकेली श्रद्धालु नहीं है उसके जैसे ग्रामीण क्षेत्र से पहुंचे अनेक महिला और पुरूष श्रद्धालु सिर पर गठरी लिए दिखे जिसे गंगा स्नान का सुख और वटवृक्ष के दर्शन नहीं मिलने का मलाल रहा। गौरतलब है कि प्रलय और सृष्टि का साक्षी, प्रयाग की पहचान, सनातन धर्म एवं संस्कृति की धूरी अक्षयवट से श्रद्धालुओं की दूरी उस समय खत्म हो गई जब गत दिसम्बर में संगम नदी पर कुंभ मेला की कुशलता के लिए गंगापूजन के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संत निरंकारी मैदान में जनसभा को संबोधित करने के दौरान कुंभ स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिये अक्षयवट दर्शन सबके लिए सुलभ होने का एलान किया था। कई पीढ़ियों से अक्षयवट किले में बंद था, लेकिन इस बार यहां आने वाला हर श्रद्धालु प्रयागराज की त्रिवेणी में स्नान करने के बाद अक्षयवट के दर्शन का सौभाग्य भी प्राप्त कर सकेगा और तभी से श्रद्धालुओं का दर्शन के लिये तांता लगा रहता है। इससे पहले मुगल एवं अंग्रेजों के शासन में किले में बंद अक्षयवट का दर्शन दुर्लभ था। देश को आजादी मिलने के बाद भी वहां तक कोई आम आदमी नहीं पहुंच नहीं पाता था। अक्षयवट का दर्शन सिर्फ रसूखदार लोगों को मिलता था। सेना के अधिकारियों द्वारा सुरक्षा का हवाला देकर आम श्रद्धालुओं को वहां जाने से रोका जाता था, लेकिन जिसकी पहुंच होती थी वही अंदर जाकर दर्शन कर पाता था।दिनेश भंडारीवार्ता