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उत्तर प्रदेश-योगी मठ मंदिर दो गोरखपुर

श्री याेगी ने कहा कि एक तरफ महर्षि विश्वामित्र ने राम के चरित्र का उपयोग किया तो दूसरी तरफ महर्षि वाल्मिकी ने उनके चरित्र को अपने रामायाण में निरूपित कर समाज के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया। महर्षि वेदव्यास ने भारत की परम्परा को दुनिया के सामने रखते हुए कहा कि महाभारत में जो भी कुछ है। वही सम्पूर्ण संसार में है। अर्थात् सम्पूर्ण संसार का अध्ययन महाभारत का अध्ययन करने से हो जायेगा।
उन्होंने आगे कहा कि स्वामी विवेकानन्द जब सन्यास लेना चाह रहे थे तो स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने कहा कि मनुष्य का जीवन केवल अपने लिए ही नहीं होता अपितु वास्तविक सन्यास समाज की सेवा में है। उनके इस मूल मंत्र को लेकर स्वामी विवेकानन्द ने भारतीय आध्यात्म और संस्कृति की परम्परा का लोक कल्याणकारी पाठ पूरी दुनिया को
पाठ पढाया। यह दुर्भाग्य की बात है कि जिस 11 सितम्बर को स्वामी विवेकानन्द ने पूरी दुनिया को आध्यात्म और शान्ति का संदेश दिया उसी 11 सितम्बर को दूसरी तरफ वल्र्ड ट्रेड सेन्टर पर आतंकी हमला हुआ।
इस मौके पर जबलपुर के गीताधाम से आये समारोह के मुख्य अतिथि जगद्गुरू स्वामी डाॅ0 श्यामदेवाचार्य ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि दुनिया में सबसे पहले हम ही जगे थे। बहुत दिनों तक विश्व गुरू के पद पर सम्मानित यह देश आपसी फूट एवं स्वार्थ पूर्ति के कारण पराधीन हो गया तब संत समाज ने ही इस देश को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया। स्वामी विवेकानन्द ने राष्ट्रीय पुननिर्माण का शंखनाद किया और उनकी आवाज विश्व पटल पर पहुंची।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा संत समाज की ही देन है। जगो, उठो पर जग कर बैठों नहीं अपितु सक्रिय होकर अपने परम लक्ष्य को प्राप्त करो। उन्होंने कहा कि सामाजिक चिन्तन के क्षेत्र में संतो ने बहुत बड़ा कार्य किया। उन्होंने कहा कि पुर्नजागरण की परम्परा को श्रीगोरक्षपीठ ने सदैव आगे बढाने का कार्य किया है। ब्रह्मलीन
महन्त दिग्विजयनाथ एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ जिस शिक्षा,स्वास्थ्य एवं सेवा की परम्परा पर चले उसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ उस परम्परा को और आगे बढा रहें हैं।
उदय त्यागी
जारी वार्ता
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