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उत्तर प्रदेश-कृषि क्रान्ति संगोष्ठी दो गोरखपुर

श्री नंदन ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार 56 जिलों में गो संरक्षण केन्द्र काम करना प्रारम्भ कर दिये है तथा बाकी जिलों में काम हो रहा है। इसी प्रकार 127 कान्हा उपवन शहरी क्षेत्रों में गो संरक्षण केन्द्र खोले गये है। प्रदेश में 526 रजिस्टर्ड गोशालाएं है। उन्होंने कहा कि यदि कोई किसान चार गोवंश रखता है तो उसे प्रति गोवंश के हिसाब से 30
रूपये प्रतिदिन प्रोत्साहन राशि दी जायेगी।
संगोष्ठी को प्रयागराज के अरैल आश्रम से आये स्वामी गोपालदास ने कहा कि धर्मरक्षा, स्वास्थ्य रक्षा, आर्थिक लाभ और पर्यावरण की दृष्टि से गौ तथा गोवंश का संरक्षण एवं संवर्धन आवश्यक है। हमारे वैदिक ग्रन्थों से लेकर पौराणिक ग्रन्थों तक में गाय की महिमा गायी गयी है। वर्ष 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम गोमाता के प्रति आस्था के प्रश्न के गर्भ से ही उपजा था। भारत के राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 1967 में घोषणा की थी कि नवगठित सरकार गौ हत्या पर प्रतिबन्ध लगायेगी।
उन्होंने कहा कि भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार, बाबा राघवदास, स्वामी करपात्री जी, लाला हरदेवसहाय जैसे महापुरूषों के नेतृत्व में गोवंश की हत्या पर प्रतिबन्ध के लिए जन-जागरण एवं आन्दोलन चलाए गये। आज भी अहिंसा के पुजारी इस देश में बड़ी संख्या में गो वंश की प्रतिदिन हत्या होती है और भारतीय संस्कृति यज्ञ की संस्कृति हैं। गोमूत्र,
गोदूध, गोबर, गोघृत आदि के बिना यज्ञ की कल्पना ही नहीं की जा सकती और गोमाता हमारी यज्ञ संस्कृति की प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत का बोध वाक्य रहा ‘भारत देश से नाता है गो हमारी माता है’ ऐसे देश में गौ वंश की हत्या महापाप है। गौ धन की रक्षा का संलल्प देश की वर्तमान आवश्कता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व कुलपति प्रो0 यू पी सिंह ने कहा कि जिस गौ को हम माता मानते है, कृषि प्रधान देश में हमारे आर्थिक संरचना की जो रीढ़ है,उसी गोवंश का अस्तित्व ही जिस प्रकार आज खतरे में है वो भारत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है और चिंता का विषय है। गोमाता की सेवा के बगैर लोक-परलोक दोनों जीवन अधूरा है।
उदय त्यागी
जारी वार्ता
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