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वन विभाग के दैनिक कर्मियों को न्यूनतम वेतन देने का निर्देश

प्रयागराज, 27 सितम्बर (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को वन विभाग के दैनिक एवं अस्थायी कर्मचारियो को एक दिसम्बर 2018 से न्यूनतम वेतन देने का निर्देश दिया है।
न्यायालय ने दैनिक एवं अस्थायी वन कर्मियों को नियमित कर्मियों के न्यूनतम वेतन भुगतान के उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना पर राज्य सरकार को फटकार लगाई है और विभाग पर दुर्भावनापूर्ण कार्य करने की सख्त
टिप्पणी की है।
न्यायालय ने राज्य सरकार को वन विभाग के अस्थायी कर्मियों को न्यायालय ने प्रमुख सचिव वन विभाग से दो सप्ताह में व्यक्तिगत हलफनामा माँगा है।
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने शेख झील पक्षी विहार अलीगढ़ के दैनिक कर्मी इशाक मोहम्मद की याचिका पर यह आदेश दिया ।
याचिका पर याची के अधिवक्ता का कहना था कि उच्चतम न्यायालय ने वन विभाग के सभी अस्थायी, दैनिक संविदा, कैजुअल, तदर्थ जैसे कर्मियों को न्यूनतम वेतन के बराबर वेतन देने का निर्देश दिया है। एक दिसम्बर 2018 से
मिलने वाले वेतन के लिए राज्य सरकार ने फंड ही नहीं दिया। न्यायालय ने अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी से इस सम्बन्ध में जानकारी मांगी थी।
सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के पालन में जारी आदेश को वापस ले लिया। तेरह अगस्त के इस आदेश को भी संशोधन अर्जी से चुनौती दी गयी है ।
न्यायालय ने कहा कि अपर महाधिवक्ता को सरकार का पक्ष रखने को बुलाया आदेश का पालन करने के बजाय विचाराधीन मामले में बिना न्यायालय की अनुमति के निर्देशों का पालन करने के आदेश को वापस ले लिया गया। न्यायालय ने सरकार की इस कार्यवाही को प्रथम दृष्टया दुर्भावनापूर्ण करार दिया है।
न्यायालय ने राज्य सरकार के पिछले माह 13 अगस्त के आदेश पर रोक लगा दी है और प्रमुख सचिव से ऐसा करने पर व्यक्तिगत हलफनामा माँगा है। न्यायालय याचिका पर अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को करेगा।
सं दिनेश त्यागी
वार्ता
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