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गौ संरक्षण के अभिनव प्रयोग से बढ़ेगी किसानो की आय

मथुरा, 03 नवम्बर (वार्ता) भारतीय नस्ल की गायों के संरक्षण एवं संवर्धन करने के लिए हासानन्द गोशाला एक अभिनव प्र्रयोग कर रही है। यह प्रयोग किसान की आय बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
गोपाष्टमी के अवसर पर इस प्रयोग का जिक्र करते हुए मथुरा वन्दावन हासानन्द गोचर भूमि ट्रस्ट गोशाला के सचिव सुनील शर्मा ने बताया कि इसके अन्तर्गत एक ओर देशी गायों की पांच प्रजातियों साहीवाल, थारपारकर, राठी, गिर एवं हरियाणा नस्ल की गायों के नश्ल सुधार का कार्यक्रम चल रहा है दूसरी ओर इस कार्यक्रम से 108 गांवों के किसानों को जोड़ने का निश्चय किया गया है।
वैसे तो मथुरा में चार दर्जन से अधिक निजी गोशाला हैं तथा दो दर्जन से अधिक सरकारी संरक्षण केन्द्र हैं पर मथुरा में जितनी भी गोशाला हैं उनमें गायों की संख्या बढ़ाने पर बल अधिक दिया जा रहा है लेकिन गो पालन को फायदे का व्यवसाय बनाने का प्रयास नही हो रहा है। ये गोशालाएं दान दाताओं द्वारा अभी तक चलाई जा रही थीं । योगी सरकार द्वारा अनुदान देने के कारण इनके हालात कुछ बेहतर हो रहे हैं पर इन गोशालाओं में भारतीय मूल की प्रजातियों की बेहतरी के लिए न तो सघन प्रयास किये जा रहे हैं और ना ही गोपालन को लाभकारी व्यवसाय बनाने के प्रयास हो रहे हैं।
बरसाना में रमेश बाबा की गोशाला में 45 हजार गायें हैं तो वृन्दावन की श्रीपाद गोशाला में पांच हजार से अधिक गोवंश है पर इनमें गोवंश बढ़ाने पर अधिक बल है, यह बात दीगर है कि इनमें गायों के रख रखाव के लिए नये तरीके के शेड आदि बनाए जा रहे हैं।
हासानन्द गोशाला की स्थापना 1935 में मदनमोहन मालवीय ने की थी ।उन्होंने यह कार्य बंगाल में गायों का कटना रोकने के लिए किया था तथा इसके लिए 1005 एकड़ का चारागाह बनाया था।गोशाला के वर्तमान ट्रस्टियों ने गोपालन को फायदे का सौदा बनाकर किसान की आय दुगुनी करने की दिशा में अभिनव योजना तैयार की है।
सं प्रदीप
जारी वार्ता
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