राज्य » उत्तर प्रदेशPosted at: Nov 23 2019 7:00PM उत्तर प्रदेश संस्कृत महत्व दो अंतिम सहारनपुरमहामण्डलेशवर यतिन्द्रानन्द जी महाराज ने संस्कृत को गौरवशाली विजयगाथा को बताया और कहा कि संस्कृत से ही संस्कृति है और इसी से संस्कार हैं संस्कृत अनादि है इसी लिए अनन्त है। सरस्वती जी कि वीणा से निकले हुए शब्दों में नाद ब्रह्म ने ही जीवन शक्ति प्रदान की है इसलिए यह भाषा अनादि और अनन्त है। इसके मंत्रों में अनेक महारोगो को दूर करने की शक्ति है जिस पर अनेक शोध चल रहे हैं। संस्कृत का प्रचार एवं प्रसार विश्व के अनेक देशों में हो रहा है और संस्कृत भाषा एवं मंत्रोच्चार की शक्ति के उपर अनेक प्रकार के शौध निरन्तर चल रहे हैं यह विज्ञान के क्षेत्र में तकनीकि के क्षेत्र में निरन्तर ग्रहण की जा रही है। सबसे पहला विश्व में रिकार्डिंग वाक्य संस्कृत में ही था। यह भाषा लोक और परलोक दोनों का ज्ञान प्रदान करने वाली है। इसीलिए कहा गया है ओम मात्रे पृथ्विेये। उन्होने कहा कि संस्कृत ब्रहम है, चेतना है। अगर संस्कृत नही रहेगी तो कोई भाषा भी नही रहेगी। अंग्रेजी बाहर की पैकिंग है, अन्दर से सब सडे हुए है। उन्होने कहा कि संस्कृत को बढावा देने हेतु यह परम्परा चल पडी है अब इसी के साथ अन्य स्कूल व कालिजो में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित होंगे। महामंडलेश्वर ने कहा कि विश्व गुरु बनना है तो संस्कृत को अपनाना होगा। संस्कृत इस देश की आत्मा है। हम सबको मिलकर संस्कृत को पूरे देश में स्थापित करना होगा। उन्होने कहा कि संस्कृत कभी मरने वाली भाषा नही है। संस्कत पढने से स्मरण शक्ति बढती है। संसार की समस्त भाषाओं का जन्म संस्कृत से ही हुआ है। सं प्रदीपवार्ता