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विश्व संस्कृति की आत्मा संस्कृत के प्रचार प्रसार की जरूरत

सहारनपुर 23 नवम्बर (वार्ता) उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के मंडलायुक्त संजय कुमार ने संस्कृत को भाषाओं की जननी बताते हुये शनिवार को कहा कि संस्कृत पर चल रहे शोध कार्य में अभी भी बहुत सारे अनछुये बिन्दु है जिन पर शोध किया जाना बाकी है।
प्रान्तीय संस्कृत सम्मेलन को संबोधित करते हुये श्री कुमार ने कहा कि तीन हजार वर्ष पूर्व संस्कृत भाषा ही बोली जाती थी यह भाषा विश्व की कल्याणकारी है। संस्कृत को बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सबको सीखना चाहिये। संस्कृत की पढाई विद्यालयों में शुरुआत से ही करायी जानी चाहिये। हमें इस देश की सबसे प्राचीन संस्कृति का स्वरुप को एक जुट होकर आगे बढाना होगा। संस्कृत भाषा को आमजन तक पहुचाने के लिये उसे सरल स्वरुप में प्रस्तुत करना होगा।
उन्होने शिक्षकों को संस्कृत से बच्चो को रुबरु कराने की सलाह देते हुये कहा कि प्रतिदिन संस्कृत के श्लोको का उच्चारण करने से अस्थमा जैसी बीमारी नही होती है। संस्कृत को तृतीय भाषा के रुप में नही प्राथामिकता पर प्रचार-प्रसार करते हुए बढाना होगा। उन्होने कहा कि आज पूरे विश्व में चार बिलियन लोग अंग्रेजी बोलते है, जबकि संस्कृत भाषा उतनी बढोतरी नही कर पायी है।
जिलाधिकारी श्री आलोक कुमार पाण्डेय ने संस्कृत भाषा को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणिक बताते हुये कहा कि संस्कृत वास्तव में विश्व संस्कृति की आत्मा है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री दिनेश कुमार पी ने संस्कृत की सनातनता एवं वैज्ञानिकता पर प्रकाश डालते हुए सामाजिक परिदृश्य में संस्कृति की उपयोगिता को सामने रखा। उन्होने कहा कि संस्कृत की परम्परा को बनाये रखना होगा।
सं प्रदीप
जारी वार्ता
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