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बीएचयू में डॉ0 फिरोज की नियुक्ति पर बवाल, छात्र फिर धरने पर बैठे

वारणसी, 02 दिसम्बर (वार्ता) काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में डॉ0 फिरोज खान की इस संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर नियुक्ति का विरोध कर रहे छात्रों ने यहां के प्रशासन द्वारा मांगे नहीं माने जाने एवं कोई जवाब नहीं मिलने के बाद 10 दिनों बाद सोमवार को एक बार फिर अनिश्चितकालीन धरना शुरु दिया।
आंदोलनकारियों में शामिल छात्र संतोष मिश्र ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा डॉ खान की नियुक्ति पर उठाये गए सवालों का जवाब 10 दिनों में देने के आश्वासन पर गत माह 22 धरना स्थगति किया गया था। निर्धारित अवधि बीतने के बाद भी प्रशासन ने न तो डॉ खान का स्थानांतरण किया और न ही कोई जवाब दिया। इससे आक्रोषित छात्रों ने मजबूरन एक बार फिर अपना अनिश्चितकालीन धरना शुरु कर दिया है।
छात्रों ने संकाय के मुख्य द्वारा पर ताला लगा कर बंद कर दिया ,जिससे यहां काम काज ठप रहा। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती, आंदोलन जारी रहेगा। आक्रोषित छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की तथा कुलपति पर महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की भावनाओं के साथ खिलवाड करने का आरोप लगाया।
गौरतलब है कि इससे पहले छात्रों ने 15 दिन तक धरना दिया था लेकिन वे तरह-तरह से विरोध दर्ज करा रहे थे। उन्होंने धरना समाप्त करने के अगले दिन प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम उनके रवीन्द्रपुरी स्थित संसदीय कार्यालय में एक ज्ञापन भी दिया था।
आंदोलनकारी छात्रों की ओर से विश्वविद्यालय प्रशासन से लिखित तौर पर पूछा गया था कि क्या नियुक्ति महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की भावाओं एवं विश्वविद्यालय के 1915 के अधिनियमों के तहत की गई है। नियुक्ति के लिए गठित स्क्रीनिंग कमेटी ने निपक्ष तरीके से कम किया है, आदि सवाल किये गए हैं।
कई आंदोलकारियों का आरोप है कि विश्वविद्यालय महामना एवं सनातन धर्म परंपरा और उनकी भावनाओं के खिलाफ गलत तरीके की गई है। उनका कहना है कि वे डॉ0 खान के ज्ञान पर सवाल नहीं उठा रहे, बल्कि उन्हें मुख्य रुप विरोध कर्मकांड कराने को लेकर है कि कोई मुस्लिम व्यक्ति कैसे हिंदू कर्मकांड करा सकता है। उनका कहा है कि किसी अन्य धर्म को मानने वाला व्यक्ति आखिर हिंदू धर्म कर्मकांड कैसे करा सकता है जब वह खुद ही इसका पालन नहीं करता हो। उनका यह भी करना है कि अब तक वे हिंदू शिक्षकों से ही कर्मकांड का व्यावहारिक ज्ञान लेते रहे हैं।
बीरेंद्र त्यागी
वार्ता
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