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अवमानना अदालत अधिकार के बाहर नहीं दे सकती आदेशः उच्च न्यायालय

प्रयागराज,03 दिसम्बर (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि अवमानना अदालत को ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं है जो मूल कोर्ट के आदेश के अनुपालन के स्कोप से बाहर का हो।
न्यायालय ने अवमानना आदलत के 18 नवम्बर 2019 को पारित आदेश पर रोक लगा दी है। जिसके तहत अपीलार्थी को प्रथम दृष्टया अवमानना का दोषी करार दिया गया था और अवमानना आरोप निर्मित किए जाने के लिए हाजिर होने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने विपक्षी खुशबू कुमारी गुप्ता को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति भारती सप्रू तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने के.रविंद्र नायक, आयुक्त ग्रामीण विकास उत्तर प्रदेश की विशेष अपील की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। खुशबू कुमारी ने ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती में आवेदन दिया था। साक्षात्कार के बाद चयन परिणाम घोषित नहीं किया गया तो याचिका दाखिल की गयी जो खारिज हो गयी। विशेष अपील पर न्यायालय ने परीक्षा परिणाम घोषित करने का आदेश दिया था और कहा था याची को सूचित किया जाए। परिणाम घोषित होने के बाद नियुक्ति नहीं होने पर अवमानना याचिका दाखिल की।
ट्रिपल सी मान्य संस्था से न/न होने के कारण नियुक्ति नहीं हो सकी। न्यायालय ने अपीलार्थी को प्रथम दृष्टया अवमानना का दोषी करार दिया और कहा अवमानना का आरोप निर्मित करने के लिए हाजिर हो। जिसे इस विशेष अपील में चुनौती दी गई थी। न्यायालय ने कहा कि स्कोप के बाहर जाकर अवमानना कोर्ट द्वारा की गई कार्रवाई को सही नहीं माना जा सकता।
न्यायालय ने प्रथम दृष्टया दोषी करार देने एवं आरोप निर्मित करने के लिए तलब करने के आदेश पर रोक लगा दी है और कहा कि अवमानना अदालत का आदेश स्कोप से बाहर है।
सं दिनेश त्यागी
वार्ता
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