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लोकरूचि मेला आस्था दो मथुरा

श्री यादव ने बताया कि मेले में भोजन की व्यस्था 200 भंडारों द्वारा की गई है जो जिलेवार लगे हुए हैं। जिन जिलों में अनुयायियों की संख्या अधिक है उनमें तहसील के अनुसार अतिरिक्त भंडारे लगाए गए हैं। दूर के प्रदेशों के अनुयायियों के लिए प्रदेशानुसार भंडारे लगाए गए हैं।
प्रशिक्षित एवं अनुभवी हजारों स्वयंसेवकों को यातायात, पार्किंग , सुरक्षा, तथा अन्य विभिन्न व्यवस्थाओं में लगाया गया है। पूजन में अधिक भीड़ होने के कारण शिफ्टवार 500 से अधिक स्वयंसेवक लगाए गए हैं। पूरे मेले में जलापूर्ति करने के लिए बड़े बड़े टैंकर लगाए गए है तो मेलास्थल बिजली की रोशनी से जगमगा रहा है। हर सेक्टर में जिले की तरफ से निःशुल्क चिकित्सा व्यवस्था की गई है।
इसके अलावा हजारों अनुयायी अपनी व्यवस्था स्वयं कर रहे हैं। वे अपने साथ लकड़ी या स्टोव आदि तक लाते हैं तथा चार लकड़ियों से खुले मैदान में चादर तानकर परिवार के छोटे छोटे बच्चों तक को इनमें सुलाते हैं और स्वयं ही खाना भी बनाते हैं।
लखीमपुर खीरी की रंजना अपने दो बच्चों के साथ इसी प्रकार की व्यवस्था कर मेले में भाग ले रही हैं। उनका कहना था कि उन्हें पूरा भरोसा है कि उनके बच्चों को ठंड नही लगेगी और गुरू महराज उनकी ठंड से रक्षा करेंगे। गोंडा के राम खेलावन, दौसा के मोहना और ग्वालियर के रामेश्वर का कहना था कि उन्हें तम्बुओं में जगह न मिल पाने से किसी प्रकार की शिकायत नही है क्योंकि वे तो अपने गुरू महराज से आशीर्वाद लेने यहां आए हैं तो परीक्षितगढ़ के शिक्षक गिरजाशंकर का कहना था कि वे इस मेले के माध्यम से अपनी बैटरी चार्ज करने के लिए आए हैं।
सं प्रदीप
जारी वार्ता
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