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मेला का 50 फीसदी तक काम होने से तीर्थ पुरोहित प्रशासन से नाराज

प्रयागराज, 27 दिसंबर (वार्ता) पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त:सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के विस्तीर्ण रेती पर बसने वाला तंबुओं का आध्यात्मिक नगर ‘माघ मेला’ में अभी तक 50 फीसदी ही काम पूरा होने
से तीर्थ पुरोहित मेला प्रशासन से नाराज हैं।
प्रयागवाल सभा के महामंत्री एवं तीर्थ पुरोहित राजेंद्र पालीवाल ने शुक्रवार को कहा कि संगमतट पर माघ मेले की शुरुआत दस जनवरी पौष पूर्णिमा से हो रही है। माघ मेला का पहला स्नान 13 दिन बाद होगा लेकिन तैयारी अधूरी है। कल्पवासियों से ही माघ मेला जाना जाता है। कल्पवासी तीर्थपुरोहितों के यहां एक माह तक रुकते हैं लेकिन मेला प्रशासन
तीर्थपुरोहितों को जमीन आवंटन करने में मनमानी करने का आरोप लगाया है।
श्री पालीवाल ने आरोप लगाया है कि छह सेक्टरों में बसने वाले माघ मेले में अभी तक एक भी सेक्टर का काम पूरा नहीं हुआ है। संस्थाएं जमीन आवंटन के लिए मेला प्रशासन कार्यालय के चक्कर लगा रही हैं। मेला क्षेत्र में साधु-संतों और कल्पवासियों के आने का सिलसिला पांच जनवरी तक पूरा हो जायेगा लेकिन मेला प्रशासन की ओर से अभी 50 फीसदी ही काम पूरा कर सका है। जिससे यहां के तीर्थपुरोहित नाखुश हैं।
उन्होने बताया कि तीर्थपुरोहितों को जो भूमि आवंटन के लिए चिन्हित की गई है वह दलदली है जिससे तीर्थयात्रियों और कल्पवासियों को परेशानी होगी। उन्होने कहा कि गंगा को निर्मल बनाए रखने के लिए बलिया से एक जनवरी से शुरू होकर पांच जनवरी कानपुर के मध्य गंगा यात्रा निकाली जाएगी। तीन जनवरी को प्रयागराज के ऋंगवेरपुर में गंगा यात्रा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन की संभावना को लेकर गंगा को अविरल और निर्मल दिखाने के लिए इतना पानी छोडा जा रहा है कि गंगा में कटान बढ़ गया है।
उन्होने कहा कि “ गंगा यात्रा” के लिए अभी से इतना अधिक पानी पीछे से छोडा जा रहा है जिससे गंगा में कटान लगातार हो रहा है और जिला प्रशासन तथा मेला प्रशासन को इसे संभालना मुश्किल हो रहा है। उन्होने कहा कि जो जल अमावस्या के दो-तीन दिन पहले छोडा जाता था वह रफ्तार अभी बनी हुयी है जिससे सैकड़ों एकड जमीन प्रभावित हो रही है। मेला प्रशासन का काम इस कारण और भी पिछड़ रहा है।
झूंसी का क्षेत्र पूरा खाली पड़ा है। वहां बिजली के खंभे तो खड़े है लेकिन उनपर तार नहीं लगाये गये हैं ।बिजली, सड़क, पानी का इंतजाम करने में मेला प्रशासन अभी तक पिछड़ा हुआ है। जमीन आवंटन की बात तो दूर की है। कार्य में तेजी नहीं लाई गई तो माघ मेला के दौरान कल्पवासियों, साधु-संतों और श्रद्धालुओं को परेशान होना पड़ सकता है।
दिनेश विनोद
वार्ता
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